नयी दिल्ली, दो जनवरी देश में कोरोना वायरस और इसके नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ के बढ़ते मामलों के बीच निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। सभी दल अभी से बड़ी-बड़ी रैलियां आयोजित कर रहे हैं और इन रैलियों में भारी भीड़ भी उमड़ रही है। ऐसे में आगामी चुनावों को लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। इन्हीं सब मुद्दों पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी से के पांच सवाल और उनके जवाब:
सवाल: कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच निर्वाचन आयोग पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने की जोरशोर से तैयारियों में जुटा है। आप इसे कितना तर्कसंगत मानते हैं?
जवाब: महामारी के दौरान कई मुल्कों में चुनाव हुए हैं। अपने यहां भी बिहार से लेकर बंगाल और केरल से लेकर तमिलनाडु तक कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं। कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों के मुताबिक यदि चुनाव कराए जाएं तो कोई दिक्कत नहीं है। रैलियों का आयोजन खतरनाक है। ये बंद होनी चाहिए।
सवाल: प्रश्न यही है कि दिन में नेता बड़ी-बड़ी रैलियां कर रहे हैं और रात में सरकारें कर्फ्यू लगा रही हैं। ऐसे में संक्रमण का फैलाव कैसे रुकेगा?
जवाब: सही बात है। दिन में रैली और रात में कर्फ्यू का कोई मतलब नहीं होता है। इससे तो कोई समाधान निकलने वाला नहीं है। इससे संक्रमण थोड़ा ही रुकने वाला है।
सवाल: निर्वाचन आयोग को ऐसा क्या करना चाहिए कि चुनाव भी संपन्न हो जाए और संक्रमण भी कम से कम फैले?
जवाब: निर्वाचन आयोग तो बाद में पिक्चर में आएगा, जब चुनावों की घोषणा हो जाएगी और आचार संहिता लागू हो जाएगी। इससे पहले तो सरकार को कदम उठाने चाहिए। अभी तो सरकार के ही नियम कानून लागू हैं। रात में कर्फ्यू तो सरकार ने ही लगाया है। सरकार को चाहिए वह इन रैलियों के आयोजन पर रोक लगाए। चुनावों की घोषणा के बाद निर्वाचन आयोग को पहला काम इन रैलियों पर प्रतिबंध लगाने का करना चाहिए।
सवाल: निर्वाचन आयोग कोरोना प्रोटोकॉल निर्धारित करता है लेकिन इसका पालन नहीं होता है। पिछले चुनावों में भी देखा गया कि इसका पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी को लेकर गेंद एक-दूसरे के पाले में डालने की कोशिश हुई। आप क्या कहेंगे?
जवाब: निर्वाचन आयोग के प्रोटोकॉल बहुत ही अच्छे हैं। इसका क्रियान्वयन अच्छे ढंग से होना चाहिए। अगर यह नहीं होता है तो कोताही है, लापरवाही है। हर सूरत में निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिए। आयोग को हर स्थिति में यह सुनिश्चित करना होगा।
सवाल: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान मामले जब तेजी से बढ़ने लगे थे तब यह मांग उठी थी कि प्रचार की अवधि को कम कर दिया जाए और मतदान एक या दो चरण में संपन्न होना चाहिए। आपकी राय में क्या होना चाहिए?
जवाब: निर्वाचन आयोग को इस पर गौर करना चाहिए तथा सरकार को इसमें सहयोग देना चाहिए। एक ही बार में सुरक्षा संबंधी सभी इंतजाम किए जा सकते हैं। यदि सरकार इसकी व्यवस्था कर दे तो कम से कम चरण या फिर एक या दो चरण में मतदान संपन्न हो सकता है।
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