देश की खबरें | रामायण प्रश्नोत्तरी जीतने से इस्लामिक विद्यार्थियों को गहरी समझ विकसित करने में मदद मिली

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. यदि आप मुस्लिम युवक मोहम्मद बसीथ एम से रामायण की उनकी पसंदीदा चौपाई के बारे में पूछें, तो वह तुरंत ‘अयोध्यकांड’ की चौपाई को दोहरा देंगे, जिसमें लक्ष्मण के क्रोध और भगवान राम द्वारा अपने भाई को दी जा रही सांत्वना का वर्णन है। इसमें भगवान राम साम्राज्य और शक्ति की निरर्थकता को विस्तार से बता रहे हैं।

मलप्पुरम, पांच अगस्त यदि आप मुस्लिम युवक मोहम्मद बसीथ एम से रामायण की उनकी पसंदीदा चौपाई के बारे में पूछें, तो वह तुरंत ‘अयोध्यकांड’ की चौपाई को दोहरा देंगे, जिसमें लक्ष्मण के क्रोध और भगवान राम द्वारा अपने भाई को दी जा रही सांत्वना का वर्णन है। इसमें भगवान राम साम्राज्य और शक्ति की निरर्थकता को विस्तार से बता रहे हैं।

वह न केवल ‘अध्यात्म रामायणम’ के छंदों को धाराप्रवाह और मधुर रूप से प्रस्तुत करेंगे, बल्कि पवित्र पंक्तियों के अर्थ और संदेश को भी विस्तार से बताएंगे।

‘अध्यात्म रामायणम’ महाकाव्य का मलयालम संस्करण है, जिसे थूंचथु रामानुजन एझुथाचन ने लिखा है।

महान महाकाव्य के गहन ज्ञान ने बासित और उनके कॉलेज के साथी-मित्र मोहम्मद जाबिर पीके को रामायण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में विजेता बनाने में मदद की है। इस प्रतियोगिता का ऑनलाइन आयोजन दिग्गज प्रकाशक कंपनी डीसी बुक्स ने किया था।

उत्तरी केरल जिले के वलांचेरी में केकेएसएम इस्लामिक एंड आर्ट्स कॉलेज में आठ वर्षीय पाठ्यक्रम (वेफी कार्यक्रम) के क्रमशः पांचवें और अंतिम वर्ष के छात्र बासित और जाबिर पिछले महीने आयोजित प्रश्नोत्तरी के पांच विजेताओं में से थे।

रामायण प्रश्नोत्तरी में इस्लामिक कॉलेज के छात्रों की जीत ने व्यापक मीडिया का ध्यान आकर्षित किया, जिसके बाद विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने दोनों को बधाई देना शुरू कर दिया।

छात्रों ने कहा कि हालांकि वे बचपन से महाकाव्य के बारे में जानते थे, उन्होंने वाफी पाठ्यक्रम में शामिल होने के बाद रामायण और हिंदू धर्म के बारे में गहराई से पढ़ना और सीखना शुरू कर दिया, जिसके पाठ्यक्रम में सभी प्रमुख धर्मों की शिक्षाएं हैं।

जाबिर ने पीटीआई से कहा, ‘‘सभी भारतीयों को रामायण और महाभारत महाकाव्यों को पढ़ना और सीखना चाहिए क्योंकि वे देश की संस्कृति, परंपरा और इतिहास का हिस्सा हैं। मेरा मानना है कि इन ग्रंथों को सीखना और समझना हमारी जिम्मेदारी है।’’

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