देश की खबरें | मणिपुर को लेकर सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला रहे प्रधानमंत्री: कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 14 जून कांग्रेस ने मणिपुर में हुई हिंसा की ताजा घटनाओं को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया और कहा कि प्रदेश की जनता के साथ किए गए ‘अपराध’ की जिम्मेदारी उसे लेनी चाहिए।

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यह सवाल भी किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजनीतिक समाधान के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला रहे हैं?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद मणिपुर की स्थिति पर कुछ खास असर नहीं पड़ा है।

खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में कल हुई हिंसा में नौ लोगों की मौत हो गई। मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर के बारे में जिस तरह शर्मनाक ढंग से वाह-वाह किया है उससे मानवता की आवाज को दबा दिया गया।’’

उन्होंने दावा किया कि पूर्वोत्तर के सीमावर्ती राज्य को हिंसा की आग में झोंक दिया गया है।

खरगे ने मणिपुर में हिंसा और हथियारों की लूट से जुड़ी घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री अब भी मूकदर्शक बने हुए हैं। मोदी जी ने मणिपुर पर एक भी बैठक की अध्यक्षता नहीं की है। लेकिन कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार से उसकी अक्षमता को लेकर सवाल करती रहेगी।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘ऐसा क्यों है कि भाजपा की डबल इंजन सरकार मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में सफल नहीं हुई? क्या भाजपा तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए विभिन्न जातीय समूहों के बीच दूरी को बढ़ा रही है?

कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी पूछा, ‘‘प्रधानमंत्री ने राजनीतिक समाधान के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाई?’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि मणिपुर की जनता के साथ किए गए अपराध के लिए मोदी सरकार जिम्मेदारी स्वीकार करे और जवाबदेह बने?’’

जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर के लोगों की व्यथा खत्म नहीं हो रही है। उनकी व्यथा देश का दर्द है, लेकिन मोदी प्रधानमंत्री के लिए यह दर्द नहीं है। वह लगातार चुप्पी साधे हुए हैं। गृह मंत्री ने देर से यात्रा की और बातचीत का जिम्मा असम के मुख्यमंत्री को सौंप दिया। इसका भी कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा है।’’

हिंसा प्रभावित मणिपुर में खामेनलोक इलाके के एक गांव में संदिग्ध उग्रवादियों के हमले में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 10 अन्य लोग घायल हो गए। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।

मणिपुर में करीब एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 100 लोगों की मौत हुई है और 310 अन्य घायल हुए हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है।

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