Omicron Variant: ओमीक्रोन के ‘कई वंशानुगत स्वरूपों’ पर नजर रखे हुए है डब्ल्यूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि वह कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के ‘कई वंशानुगत स्वरूपों’’ पर नजर रख रहा है, जिसमें दो उपस्वरूप भी शामिल हैं. इन स्वरूपों में प्रतिरक्षा प्रणाली से बच निकलने की क्षमता के साथ अतिरिक्त उत्परिवर्तन (म्यूटेशंस) होते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (Photo Credits: Wikimedia Commons)

संयुक्त राष्ट्र, 13 अप्रैल : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि वह कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के ‘कई वंशानुगत स्वरूपों’’ पर नजर रख रहा है, जिसमें दो उपस्वरूप भी शामिल हैं. इन स्वरूपों में प्रतिरक्षा प्रणाली से बच निकलने की क्षमता के साथ अतिरिक्त उत्परिवर्तन (म्यूटेशंस) होते हैं. डब्ल्यूएचओ द्वारा मंगलवार को जारी कोविड-19 साप्ताहिक महामारी विज्ञान अपडेट में कहा गया है कि ओमीक्रोन स्वरूप दुनियाभर में संक्रमण का प्रमुख स्वरूप बना हुआ है. उसने कहा कि वह बीए.1, बी.2, बीए.3 के साथ-साथ अब बीए.4 और बीए.5 समेत ओमीक्रोन के ‘‘चिंताजनक स्वरूपों’’ के तहत कई वंशानुगत स्वरूपों पर नजर रख रहा है. इसमें बीए.1/बीए.2 का मिलाजुला एक्सई उपस्वरूप भी शामिल है.

वैश्विक स्वास्थ्य संगठन ने कहा, ‘‘कुछ देशों में बीए.4 और बीए.5 वंशानुगत स्वरूपों के मिलेजुले स्वरूप का पता चला है. दोनों के स्पाइक रीजन में अतिरिक्त उत्परिर्वतन हैं. इन उत्परिवर्तनों में प्रतिरक्षा प्रणाली से बच निकलने की क्षमता है.’’ डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह इन स्वरूपों के गुण/दोषों तथा जन स्वास्थ्य पर इनके असर का आकलन करने के लिए वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम कर रहा है. उसने कहा, ‘‘डब्ल्यूएचओ जहां तक संभव हो देशों में निगरानी जारी रखने और सार्वजनिक रूप से उपलबध डेटाबेस पर आंकड़े तेजी से साझा करने की सिफारिश करता है.’’ यह भी पढ़ें : COVID-19 Update: देश में कोविड-19 के 1,088 नए मामले आए, 26 मौतें हुई

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, सार्स-सीओवी-2 वायरस का प्रसार तथा उत्परिवर्त तथा जारी है. दुनियाभर में इसके तेज गति से फैलने के कारण मिश्रित स्वरूपों समेत और स्वरूप सामने आएंगे. उसने कहा, ‘‘इसकी उम्मीद है.’’ उसने बताया कि दुनियाभर में चार अप्रैल से 10 अप्रैल तक कोविड-19 के नए मामले और मौत के मामले लगातार तीसरे सप्ताह कम हो रहे हैं. दुनियाभर में कोविड-19 रोधी टीकों की 11 अरब खुराकें वितरित की गयी हैं. हालांकि, उसने कहा कि कम आय वाले देशों में केवल 11 प्रतिशत खुराकें दी गयी हैं.

Share Now

\