जरुरी जानकारी | थोक मुद्रास्फीति नौ माह के उच्च स्तर पर, कारखानों में तैयार उत्पाद महंगे, खाद्य वस्तुयें सस्ती

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नयी दिल्ली, 14 दिसंबर कारखानों में तैयार उत्पादों के महंगा होने के चलते थोक कीमतों पर आधारित महंगाई (डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति) नवंबर माह में बढ़कर 1.55 प्रतिशत हो गई, जो पिछले नौ महीनों में सबसे अधिक है। हालांकि, इस दौरान खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में कुछ नरमी आई।

डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति अक्टूबर 2020 में 1.48 प्रतिशत और एक साल पहले नवंबर में 0.58 प्रतिशत थी।

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नवबंर में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति का यह आंकड़ा फरवरी के बाद से सबसे अधिक है। फरवरी में यह 2.26 प्रतिशत की ऊंचाई पर थी।

समीक्षाधीन अवधि में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी की रफ्तार कुछ कम हुई, हालांकि विनिर्मित वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ीं।

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खाने पीने की वस्तुओं की थोक कीमत नवंबर में 3.94 प्रतिशत बढ़ी, जबकि इससे पिछले महीने यह आंकड़ा 6.37 प्रतिशत था। इस दौरान सब्जियों और आलू की कीमतों में तेजी जारी रही।

गैर-खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर भी 8.43 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही।

इस दौरान ईंधन और बिजली की महंगाई दर ऋणात्मक 9.87 प्रतिशत रही।

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पिछले महीने के मुकाबले 0.8 प्रतिशत की तेज वृद्धि के साथ मूल-डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति नवंबर 2020 में 22 महीने के उच्चतम स्तर 2.6 प्रतिशत पर पहुंच गई।

नायर ने कहा, ‘‘हमारी राय में दिसंबर 2020 में कच्चा तेल और खनिज तेलों सहित मुख्य वस्तुओं तथा जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी की कुछ हद तक भरपाई खाद्य महंगाई में कमी से हो जाएगी।’’

इलियर इंडिया के एमडी और सीईओ संजय कुमार ने उम्मीद जताई कि कीमतों में तेजी मांग बढ़ने के कारण है, न कि विनिर्माण लागत में बढ़ोतरी के कारण।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह पूरी तरह से मांग के चलते है, तो यह एक स्वागत योग्य संकेत है, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था में सुधार का संकेत मिलता है, हालांकि, इस बात पर भी सावधानी से नजर रखनी होगी कि क्या भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) महंगाई बढ़ने के चलते मौद्रिक नीति को सख्त बनाएगा।’’

रिजर्व बैंक की इस माह की शुरुआत में की गई मौद्रिक नीति की समीक्षा में आथि्रक वृद्धि को समर्थन देते हये ब्याज दरों को यथावत रखा गया। इसमें कहा गया कि मुद्रास्फीति ऊंची बनी रहेगी।

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