देश की खबरें | उच्च न्यायालय ने कर्नाटक सरकार से पूछा, आप गोशालाएं कब शुरू कर रहे हैं?

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से सवाल किया कि वह गोशालाओं का संचालन कब से शुरू करेगी। वहीं, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि राज्य में आवारा पशुओं की देखभाल के लिए एक अगस्त से पहले 15 गोशालाएं स्थापित की जाएंगी।

बेंगलुरु, आठ जून कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से सवाल किया कि वह गोशालाओं का संचालन कब से शुरू करेगी। वहीं, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि राज्य में आवारा पशुओं की देखभाल के लिए एक अगस्त से पहले 15 गोशालाएं स्थापित की जाएंगी।

राज्य सरकार ने मंगलवार को उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति (एचसीएलएससी) द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान अदालत को इस बारे में सूचित किया।

मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने इस प्रक्रिया में देरी को लेकर राज्य सरकार से पूछा कि क्या गोशालाएं खोलना सरकार की पंचवर्षीय योजना है। इसके साथ ही राज्य सरकार को यह बताने का निर्देश दिया कि वह कब से आवारा पशुओं के लिए गोशालाओं का संचालन शुरू करेगी।

सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि बेंगलुरु जहां परियोजना के लिए भूमि हस्तांतरण में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था, के अलावा कर्नाटक के 29 अन्य जिलों में गोशालाएं खोली जा रही हैं। इनके क्रियान्वयन की निगरानी के लिए जिला स्तरीय समितियों का गठन किया जा चुका है।

अदालत को बताया गया कि आगामी गोशालाओं में मवेशियों को पानी उपलब्ध कराने के लिए कुछ जगहों पर बोरवेल चालू कर दिए गए हैं। अदालत को बताया गया कि पांच गोशालाएं 15 जुलाई से पहले और 10 अन्य एक अगस्त से चालू हो जाएंगी।

अदालत ने कहा कि हर तालुका और गांव के स्तर पर एक गोशाला जरूरी है। यदि एक जिले में केवल एक गोशाला संचालित की जाती है, तो उनमें आवारा पशुओं की संख्या सीमित हो जाएगी। सरकारी वकील ने बताया कि निजी एजेंसियों ने 197 गोशालाएं शुरू की थीं, जिन्हें राज्य द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

अदालत को बताया गया कि इस मुद्दे पर एक तथ्यान्वेषी रिपोर्ट तैयार है और इसे दो दिनों के भीतर अदालत में पेश किया जाएगा। इस दलील के बाद अदालत ने सुनवाई एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दी।

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