आखिर क्या था हिंडनबर्ग और क्यों बंद हुई कंपनी

अमेरिकी बिजनेस रिसर्च फर्म और शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग फर्म के संस्थापक नेथन एंडरसन ने ऐलान किया कि 16 जनवरी 2025 से वो फर्म को बंद कर रहे हैं.

आखिर क्या था हिंडनबर्ग और क्यों बंद हुई कंपनी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिकी बिजनेस रिसर्च फर्म और शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग फर्म के संस्थापक नेथन एंडरसन ने ऐलान किया कि 16 जनवरी 2025 से वो फर्म को बंद कर रहे हैं.इस अचानक हुई घोषणा की किसी ने भी कल्पना नहीं की थी. यह वही रिसर्च फर्म है जिसने अदाणी समूह पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था जिसके चलते कुछ समय के लिए अदाणी समूह के शेयरों की कीमत धराशायी हो गये थे. इस मामले की वजह से समूह को लगभग 108 अरब डॉलर का झटका लगा. हालांकि कंपनी की वित्तीय स्थिति में फिर से सुधार हो गया.

क्या कहा नेथन एंडरसन ने

एंडरसन ने कहा है कि फर्म उनका काफी समय ले रहा था और वो लगातार पड़ रहे इस दबाव से थक गए थे. उन्होंने अपने परिवार के साथ ज्यादा समय ना बिता पाने की बात भी कही. एंडरसन ने कहा, "इरादा यही था कि जो जिन विचारों पर हम काम कर रहे थे उन्हें पूरा कर के हम फर्म बंद कर देंगे.”

अपने काम और कंपनियों में चल रही कथित धोखाधड़ी पर लंबी चौड़ी रिपोर्ट तैयार करने के हुनर से नेथन एंडरसन अमेरिका के शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट पर सबसे प्रमुख एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर में से एक बन गए थे.

क्या था हिंडनबर्ग फर्म?

2017 में बने हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट के अनुसार, फर्म फोरेंसिक वित्तीय अनुसंधान में माहिर था. वेबसाइट पर आगे लिखा था कि "सबसे प्रभावशाली शोध मुश्किल से मिलने वाली जानकारी को उजागर करने से होता है" जो वो करते हैं. उनका काम काम था "वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करना, किसी कंपनी में भ्रष्ट अफसरों और प्रबंधन को टारगेट करना और कंपनियों में गोपनीय तरीके से हो रहे लेन-देन को सामने लाना.”

कामकाज बंद करते हुए एंडरसन ने कहा "हमारे काम की वजह से ही लगभग 100 लोगों पर सिविक या आपराधिक आरोप लगे, जिनमें बड़े अरबपति भी शामिल हैं. हमने कुछ ऐसे साम्राज्यों को हिला कर रख दिया, जिन्हें हमें हिलाने की जरूरत महसूस हुई.”

किन मामलों पर है हिंडेनबर्ग की छाप

एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च ने स्टार्टअप इलेक्ट्रिक ट्रक निर्माता लॉर्डस्टाउन मोटर्स पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे. फर्म के अनुसार समूह ने शेयर बाजार में अपने शेयर बढ़ाने के लिए दिखाया कि उनके एंड्योरेंस मॉडल ट्रक की डिमांड कितनी बढ़ गयी है. बढ़ी हुई कथित नकली डिमांड को दिखाने के लिए उन्होंने दावा किया कि लोगों ने उनके एंड्योरेंस मॉडल के 1,00,000 ट्रक प्री ऑर्डर किए हैं.

इसके चलते उनका नाम हुआ, शेयर बाजार में उन्हें यह बिक्री दिखाने का फायदा भी मिला. हिंडनबर्ग की जांच के बाद पता चला कि लॉर्डस्टाउन मोटर्स जिस कंपनी से ट्रक लेने की बात कर रही थी वो तो अमेरिका के टेक्सास में एक छोटे से अपार्टमेंट में थी, और ट्रकों का व्यापार करती ही नहीं थी. आरोप और फिर जांच के बाद लॉर्डस्टाउन मोटर्स को ओहायो में अपना एक विशाल ऑटो असेंबली प्लांट ताइवान के आईफोन निर्माता फॉक्सकॉन को बेचना पड़ा.

हिंडनबर्ग ने 2020 में मशहूर कंपनी निकोला पर भी जानकारी जुटाई. हिंडनबर्ग ने कहा कि निकोला ने अपने तकनीकी विकास के बारे में निवेशकों को धोखा दिया. फर्म के अनुसार ये सब निकोला कंपनी ने ईवी मार्केट में उतरकर टेस्ला के साथ मुकाबला करने के लिए किया. 2021 के अंत में रिपोर्ट के बाद निकोला पर यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के संगीन आरोप लगे जिनके चलते निकोला को 12.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना पड़ा. इनके अलावा और भी कई ऐसे मामले हैं जिनमें कंपनियों का कच्चा चिट्ठा सामने रखा गया.

हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर क्या आरोप लगाए थे

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ब्रिटेन के फाइनेंशियल टाइम्स अखबार और खोजी पत्रकारिता करने वाली संस्था ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की पुरानी रिपोर्टों में यह पहले ही सामने आ चुका है कि बरमूडा और मॉरिशस में कई ऐसी ऑफशोर कंपनियां हैं, जिनका संबंध अदाणी समूह से है.

इसी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि अब यह भी पता चला कि बुच दंपति ने इन्हीं कंपनियों में 2015 में निवेश किया. हिंडनबर्ग के मुताबिक, सेबी ने अभी तक अदाणी समूह के खिलाफ जांच अच्छी तरह से इसलिए नहीं की थी क्योंकि सेबी अध्यक्ष खुद इन कंपनियों से जुड़ी हुई थीं.

शॉर्ट सेलिंग के जरिए करते थे पर्दाफाश

शेयर बाजार में, एक छोटी सी अवधि में लाभ कमाने के लिए शॉर्ट सेलिंग की जाती है. जिस तरह लंबी अवधि के निवेशक भविष्य में कीमतों में वृद्धि की उम्मीद करते हुए स्टॉक खरीदते हैं, जबकि शॉर्ट–सेलर कीमतों में गिरावट से मूल्य की स्थिति और लाभ को मापते हैं.

हिंडनबर्ग जैसे शॉर्ट-सेलर उन कंपनियों के शेयरों पर दांव लगाते थे जिनके बारे में उनकी जांच कहती थी कि वेधोखाधड़ी या दूसरी वित्तीय अनियमितताओं में शामिल रहे हैं. इस प्रक्रिया में किसी से स्टॉक को उधार लेना होता है, जहां मालिकाना हक आपके नहीं, बल्कि किसी और के पास होता है. फिर उन शेयर को तुरंत बेचना होता है और फिर सप्लाई ज्यादा होने से जब उसका मूल्य कम हो जाता है तो अंतर को खत्म करने के लिए उसे फिर से खरीद लिया जाता है.

हिंडनबर्ग के जांच के तरीके

शॉर्ट सेलिंग को कई लोग गैर कानूनी मानते हैं क्योंकि उनका कहना है कि इससे शेयर बाजार में हेरफेर होती है और कुछ का कुछ दिखता है. हालांकि कई लोगों का मानना ये भी है कि शॉर्ट सेलिंग के जरिए बाजार में चल रही भ्रांतियां और झूठ भी सामने आ जाते हैं.

फर्म ने 2022 में एक फर्जी स्कीम का पता निजी जेट में निगरानी के उपकरण लगा कर लगाया था. उसमें जेट में बैठे कारोबारी की हिंडनबर्ग के कर्मचारी के साथ लंबी बातचीत शामिल थी.

फर्म के बंद होने की घोषणा का असर

हिंडनबर्ग के बंद होने की घोषणा के साथ ही कई लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया जाहिर की. अदाणी समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) जुगेशिंदर सिंह ने गुरुवार को हिंडनबर्ग के बंद होने की खबरों के कुछ घंटों बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट डाला जिसमें उन्होंने लिखा कि "कितने गाजी आए, कितने गाजी गए.” इसे अदाणी समूह की खुशी के तौर पर देखा जा रहा है.

कांग्रेस ने भी सोशल मीडिया पर कहा "हिंडनबर्ग के बंद हो जाने से ये कतई नहीं मान लेना चाहिए कि‘मोदाणी' निर्दोष हैं.”

फिलहाल फर्म के संस्थापक ने कहा है कि 6 महीने तक वो अपने तरीके उजागर करते रहेंगे कि कैसे उन्होंने इतनी बड़ी कंपनियों और उनके मालिकों के कच्चे चिट्ठे खोले. साथ ही उन्होंने बाली में एक डीजे परफॉरमेंस का लिंक डालते हुए कहा कि "कठिन समय में इसका मुझ पर बड़ा प्रभाव पड़ा था.”


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