देश की खबरें | वायनाड भूस्खलन: बचाव कार्य के लिए जीपीएस निर्देशांक, मोबाइल फोन की लोकेशन का इस्तेमाल
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. सेना द्वारा 190 फुट लंबे ‘बेली ब्रिज’ का निर्माण पूरा किये जाने के बाद खोज अभियान में तेजी आने के बीच बचाव दलों ने शुक्रवार को केरल के वायनाड में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मोबाइल फोन से प्राप्त अंतिम लोकेशन समेत जीपीएस निर्देशांकों और ड्रोन चित्रों का इस्तेमाल करके मलबे में फंसे लोगों की तलाश की।
वायनाड (केरल), दो अगस्त सेना द्वारा 190 फुट लंबे ‘बेली ब्रिज’ का निर्माण पूरा किये जाने के बाद खोज अभियान में तेजी आने के बीच बचाव दलों ने शुक्रवार को केरल के वायनाड में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मोबाइल फोन से प्राप्त अंतिम लोकेशन समेत जीपीएस निर्देशांकों और ड्रोन चित्रों का इस्तेमाल करके मलबे में फंसे लोगों की तलाश की।
वायनाड जिले के मुंडक्कई क्षेत्र में भूस्खलन के तीन दिन बाद बचावकर्मियों ने शुक्रवार को एक ही परिवार के चार लोगों को पदवेट्टी कुन्नू के पास एक इलाके में सुरक्षित पाया।
लगभग 300 लोग अभी भी लापता हैं तथा मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या 210 पर पहुंच गई है जबकि 264 लोग घायल हुए हैं।
केरल स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इसके अतिरिक्त विभिन्न शवों के 133 अंग भी बरामद किए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि 190 फुट लंबे ‘बेली ब्रिज’ का निर्माण पूरा होने से बचाव अभियान में तेजी आई है। इस पुल के रास्ते उत्खनन मशीनों सहित भारी मशीन और एम्बुलेंस मुंडक्कई और चूरलमाला तक पहुंच पाएंगी।
केरल के एडीजीपी एम.आर. अजित कुमार ने इससे पहले कहा था कि लगभग 300 लोग अब भी लापता हैं।
वायनाड जिले में भूस्खलन के चौथे दिन शुक्रवार को बचावकर्मियों की 40 टीम ने बारिश और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच तलाश एवं बचाव अभियान शुरू किया।
संयुक्त दलों में सेना, एनडीआरएफ, डीएसजी, तटरक्षक और नौसेना के कर्मी शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि चालियार के 40 किलोमीटर क्षेत्र में स्थित आठ पुलिस थाने के पुलिसकर्मी और स्थानीय तैराक बलों ने साथ मिलकर उन शवों की खोज शुरू कर दी है, जो संभवतः बहकर नीचे चले गए हैं या नदी के किनारे फंसे हुए हैं।
इसके साथ ही पुलिस हेलीकॉप्टर की मदद से एक अन्य तलाशी अभियान भी चलाया जा रहा है।
इसके अलावा तटरक्षक बल, नौसेना और वन विभाग ने संयुक्त रूप से नदी के किनारों और उन क्षेत्रों में खोज अभियान चलाया जहां शव फंसे हो सकते हैं।
वायनाड की जिलाधिकारी मेघाश्री डी. आर. ने पत्रकारों को बताया कि सबसे अधिक प्रभावित मुंदक्कई और चूरलमाला कस्बों को छह जोन में बांटा गया है। इन क्षेत्रों में भारी मशीनरी और स्वान दस्तों के साथ बचावकर्मियों की 40 टीम तैनात की गई हैं।
उन्होंने कहा कि ड्रोन से ली गई तस्वीरों और जीपीएस निर्देशांकों की मदद से ऐसे कई स्थानों को चिह्नित किया गया है, जहां खोज एवं बचाव अभियान चलाया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि ड्रोन द्वारा ली गई हवाई तस्वीरों से विशिष्ट खोज स्थानों के जीपीएस निर्देशांक की पहचान करने में मदद मिली है।
राजस्व मंत्री के. राजन ने एक दिन पहले कहा था कि मलबे में दबे शवों का पता लगाने के लिए दिल्ली से ड्रोन आधारित रडार शनिवार को वायनाड लाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि तलाश अभियान में फिलहाल छह श्वानों की मदद ली जा रही है तथा चार और श्वान तमिलनाडु से वायनाड लाए जाएंगे।
इस बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा के साथ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता गांधी ने भूस्खलन को शुक्रवार को एक ऐसे स्तर की ‘‘भयानक त्रासदी’’ बताया, जो राज्य के किसी क्षेत्र में अब तक नहीं देखी गई थी। उन्होंने कहा कि इस घटना को अलग तरह से लिया जाना चाहिए।
गांधी ने कहा कि वह इस मामले को दिल्ली में और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के समक्ष भी उठाएंगे, क्योंकि ‘‘यह एक अलग स्तर की त्रासदी है और इस घटना को अलग तरह से लिया जाना चाहिए।’’
उन्होंने यह वादा भी किया कि कांग्रेस पार्टी वायनाड में 100 से अधिक मकान बनाएगी।
भूस्खलन में बचे लोगों को मनोवैज्ञानिक संबल प्रदान करने के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य आपदा प्रबंधन टीम का गठन किया गया है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
जॉर्ज ने कहा कि केरल के पहाड़ी जिले में हुई त्रासदी के तुरंत बाद मंगलवार को मनोचिकित्सकों, नैदानिक मनोवैज्ञानिकों, मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं और परामर्शदाताओं की 121 सदस्यीय टीम गठित की गई थी।
केरल के वायनाड में भूस्खलन में मारे गए लोगों के अज्ञात शवों को पहाड़ी जिले के सार्वजनिक कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि शवों को दफनाने के लिए कलपेट्टा नगरपालिका, मुत्तिल, कनियाम्बट्टा, पदिनजथारा, थोंडरनाड, एडवाका और मुलनकोल्ली ग्राम पंचायतों समेत विभिन्न स्थानों पर कब्रिस्तानों में व्यवस्था की गई है।
वायनाड भूस्खलन हादसे के बाद व्यवसायी, मशहूर हस्तियां और संस्थाएं मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में लाखों-करोड़ों रुपये दान देने में जुटी हैं। इसी बीच पीड़ितों की मदद के लिए एक चाय की दुकान चलाने वाली बुजुर्ग महिला भी आगे आई है।
बुजुर्ग महिला ने अपनी सारी कमाई और पेंशन उन लोगों के लिए दान कर दी हैं जो इस हादसे में अपना सब कुछ खो चुके हैं ।
कोल्लम जिले के पल्लीथोट्टम निवासी सुबैदा अपना और अपने पति का पेट पालने के लिए एक छोटी सी चाय की दुकान चलाती हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष (सीएमडीआरएफ) को 10 हजार रुपए दान किए हैं।
उन्होंने अपनी चाय की दुकान से होने वाली मामूली आय और दंपति को मिलने वाली कल्याणकारी पेंशन से धनराशि दान की है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कुछ दिन पहले ब्याज चुकाने के लिए बैंक से राशि निकाली थी। लेकिन फिर हमने टीवी पर देखा कि वायनाड भूस्खलन में अपना सब कुछ खो चुके लोगों की मदद के लिए सभी से योगदान मांगा जा रहा है।’’
उन्होंने एक टीवी चैनल पर कहा, ‘‘मेरे पति ने तुरंत मुझसे कहा कि मैं जाकर जिलाधिकारी को रुपये दे दूं। उन्होंने कहा कि इस समय लोगों की मदद करना अधिक जरूरी है, ब्याज तो बाद में भी चुकाया जा सकता है। इसलिए मैंने जिलाधिकारी कार्यालय जाकर रुपये जमा करा दिए। मैं वायनाड जाकर मदद नहीं कर सकती।’’
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