पीएम मोदी बोले- जम्मू-कश्मीर से ‘दिल्ली की दूरी’ और ‘दिल की दूरी’ मिटाना चाहता हूं
लंबे समय तक आतंकवाद और अस्थिरता के दौर से गुजरे जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह इस पूर्ववर्ती राज्य से ‘‘दिल्ली की दूरी’’ के साथ ही ‘‘दिलों की दूरियों’’ को मिटाना चाहते हैं.
नयी दिल्ली, 24 जून: लंबे समय तक आतंकवाद और अस्थिरता के दौर से गुजरे जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह इस पूर्ववर्ती राज्य से ‘‘दिल्ली की दूरी’’ के साथ ही ‘‘दिलों की दूरियों’’ को मिटाना चाहते हैं. लगभग दो साल पहले जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त विशेष दर्जे को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद वहां के 14 राजनीतिक नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने यह बात कही. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मोदी ने कहा कि वह ‘‘दिल्ली की दूरी’’ के साथ ही ‘‘दिलों की दूरियों’’ को भी मिटाना चाहते हैं. जम्मू-कश्मीर के नेताओं संग पीएम मोदी की बैठक खत्म, कांग्रेस समेत कई दलों ने की पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग.
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, नेशनल कांफ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला, उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद सहित चार पूर्व मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया.
लगभग साढ़े तीन घंटे तक चली इस बैठक में पूर्ववर्ती राज्य के चार पूर्व उपमुख्यमंत्रियों और अन्य विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बैठक में शामिल नेताओं की ओर से आए सभी सुझावों और तर्कों को गौर से सुना और कहा कि सभी ने खुले मन से बैठक में अपना पक्ष रखा है. उन्होंने बताया कि बैठक खुली चर्चा के लिए बुलाई गई थी जिसके केंद्र में कश्मीर का बेहतरीन भविष्य निर्माण करना था.
बैठक का मुख्य मुद्दा केंद्रशासित प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करना था और प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में इसकी बहाली को लेकर प्रतिबद्ध है.
सूत्रों के मुताबिक मोदी ने जिला विकास परिषद के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न होने की तरह ही वहां विधानसभा चुनाव संपन्न कराने पर जोर दिया. बैठक में परिसीमन के बाद वहां चुनाव कराने को लेकर चर्चा हुई और लगभग सभी राजनीतिक दलों ने इस पर अपनी सहमति जताई.
प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि जम्मू-कश्मीर में यदि एक भी जान जाती है तो वह बहुत दुखद है और भावी पीढ़ी की सुरक्षा करना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है. उन्होंने केंद्रशासित प्रदेश के युवाओं को मौके देने पर बल दिया और कहा कि वे वापस देश को इसका फल देंगे.
बैठक में जम्मू-कश्मीर में हुए विकास और जनहित के कार्यों को लेकर भी विस्तृत चर्चा हुई. उन्होंने विकास की गति पर संतोष जताया और कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों में आकांक्षाओं की उम्मीद की किरण जग रही है.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त शासन मिलता है तो इससे लोगों में विश्वास की बहाली होती है. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में आजकल ऐसा ही वातावरण है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन सभी को राष्टहित में काम करना चाहिए ताकि प्रदेश की जनता को इसका फायदा मिल सके.
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के समाज के सभी वर्गों के बीच सुरक्षा का माहौल सुनिश्चित किए जाने पर जोर दिया.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)