देश की खबरें | विहिप की संभल हिंसा में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ रासुका लगाने की मांग
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नयी दिल्ली, 25 नवंबर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा की निंदा की और मामले में शामिल लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत मामला दर्ज करने की मांग की।
विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेन्द्र जैन ने यह भी मांग की कि दोषियों और उनके समर्थकों पर रासुका के तहत मामला दर्ज किया जाए और हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई उनसे की जाए।
रविवार को संभल स्थित मुगलकालीन मस्जिद का अदालत के आदेश पर सर्वेक्षण का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में तीन व्यक्तियों की मौत हो गई थी और करीब 20 सुरक्षाकर्मियों तथा प्रशासन के चार कर्मियों समेत कई अन्य घायल हो गए। एक घायल व्यक्ति की सोमवार को मौत हो गई।
जैन ने कहा, ‘‘जिस तरह से मुस्लिम कट्टरपंथियों ने संभल में पुलिस पर पथराव किया, गोलियां चलाईं और आगजनी की, वह बेहद निंदनीय है। जिस तरह से मुस्लिम नेताओं, मौलानाओं और राहुल गांधी के साथ ही कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने इस हिंसा का समर्थन किया है, वह भी चिंताजनक है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि हिंसा ‘‘मौलानाओं के इशारे पर’’ की गई और कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं पर ‘‘भड़काऊ बयान’’ देने का आरोप लगाया।
जैन ने कहा, ‘‘दंगाइयों और उनके समर्थकों पर रासुका के तहत मामला दर्ज करके उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उनके द्वारा किए गए सभी नुकसान की भरपाई भी उनसे करायी जानी चाहिए।’’
पुलिस ने सोमवार को कहा कि हिंसा के सिलसिले में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और स्थानीय सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल को आरोपी बनाया गया है।
पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बर्क और इकबाल समेत छह लोगों के नाम इन प्राथमिकियों में दर्ज हैं और 2,750 अन्य अज्ञात के तौर पर उल्लेखित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बर्क के पहले के बयान के कारण यहां स्थिति और खराब हुई।’’
जिला प्रशासन ने पहले ही निषेधाज्ञा लागू कर दी है और 30 नवंबर तक बाहरी लोगों के संभल में प्रवेश पर रोक लगा दी है। संभल तहसील में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और जिला प्रशासन ने सोमवार को विद्यालयों में अवकाश घोषित कर दिया।
संभल में 19 नवंबर से ही तनाव व्याप्त था, जब स्थानीय जामा मस्जिद का पहली बार सर्वेक्षण किया गया था। यह सर्वेक्षण एक याचिका दायर किये जाने के बाद अदालत के आदेश पर किया गया था। याचिका में दावा किया गया था कि जिस स्थान पर अभी मस्जिद है वहां पहले हरिहर मंदिर था।
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