देश की खबरें | 'सुधार गृह' में तब्दील किए जाएं उप्र के कारागार : मुख्यमंत्री
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लखनऊ, 15 जून उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के कारागारों को सुधार गृह के रूप में स्थापित करने के लिए हर जरूरी कदम उठाने का निर्देश देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि कारागार प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए प्रौद्योगिकी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक में कारागारों की स्थिति की समीक्षा करते हुए कारागार सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।
उन्होंने कहा, "हमें कारागारों को सुधार गृह के रूप में स्थापित करना होगा। इसके लिये हर जरूरी कदम उठाए जाएं।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "वर्तमान समय में जेल तथा उनमें बंद कैदियों के संबंध में जेल अधिनियम 1894 और कैदी अधिनियम 1900 प्रभावी हैं। यह दोनों ही कानून आजादी से पहले के हैं। इनके अनेक प्रावधान बदलते परिवेश एवं बंदियों के पुनर्वासन की सुधारात्मक विचारधारा के अनुकूल नहीं हैं। जेल अधिनियम का उद्देश्य अपराधियों को कारागार में अनुशासित ढंग से रखने पर केन्द्रित है, लेकिन हमें सुधार एवं पुनर्वासन पर केन्द्रित होना होगा। ऐसे में भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए हमें नए अधिनियम लागू करने की जरूरत है।"
उन्होंने कहा कि जेलों में कैदियों का सुरक्षा मूल्यांकन, शिकायत निवारण, कारागार विकास बोर्ड, कैदियों के प्रति व्यवहार में बदलाव एवं महिला कैदियों व ट्रांसजेंडर आदि के लिये अलग आवास का प्रावधान जैसी व्यवस्था लागू की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदतन अपराधियों और आतंकवादियों जैसे देश-समाज के लिए बड़ा खतरा बने कैदियों के लिए हाई-सिक्योरिटी बैरक तैयार कराए जाएं और उनकी सुरक्षा के लिए उच्च मानकों का कड़ाई से पालन किया जाए।
आदित्यनाथ ने कहा, "प्रदेश कैबिनेट ने विगत दिनों नई जेल मैन्युअल को अनुमोदित किया है। जेल सुधारों की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रयास है। हमें कारागारों को सुधार के बेहतर केन्द्र के रूप में स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास करना होगा। इस दिशा में ओपन जेल की स्थापना उपयोगी सिद्ध हो सकती है। वर्तमान में लखनऊ में एक सेमी ओपन जेल संचालित है। ओपन जेल की स्थापना के लिए विधिवत प्रस्ताव तैयार करें।"
उन्होंने कारागार प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए प्रौद्योगिकी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि इस वक्त प्रदेश के कारागारों में बंदियों के प्रवेश/निकास ई-प्रिजन के माध्यम से कराये जा रहे हैं। प्रिजनर्स इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (कैदी सूचना प्रबंधन प्रणाली), विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम (आगंतुक प्रबंधन प्रणाली), ई-अभिरक्षा प्रमाण-पत्र, पुलिस इन्टेलीजेंस सिस्टम लागू है। 4200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे प्रदेश की कारागारों में लगे हुए हैं, जिनकी सतत निगरानी मुख्यालय में स्थापित वीडियोवॉल से की जाती है जिन पर एलर्ट भी प्राप्त होते रहते हैं। इसके अच्छे परिणाम भी मिल रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री ने यह भी आदेश दिया कि जेलों में मोबाइल फोन जैसी प्रतिबंधित चीजों के इस्तेमाल पर कठोरतम दंड का प्रावधान लागू करें।
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