कपड़ों की बर्बादी रोकने के लिए अनोखी पहल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

एम्सटर्डम में एक अनोखी लाइब्रेरी खुली है, जहां पर लोग पुराने कपड़े उधार ले सकते हैं. इसका एक खास मकसद भी है.एम्सटर्डम की फैशन लाइब्रेरी में इकराम शाकिर नीली और सफेद रंग की शर्ट वापस लेकर उसके बदले पिंक रंग की शर्ट उधार दे रही हैं. यह दुनिया की ऐसी पहली फिजिकल लाइब्रेरी है, जहां पर लोग पुराने या नए कपड़े किराए पर ले सकते हैं.

एम्सटर्डम की इस लाइब्रेरी को "बिग शेयर्ड वॉर्डरोब" भी कहा जा रहा है, जिसका मकसद कपड़ों के कचरे और फैशन उद्योग के प्रदूषण को भी कम करना है.

बिग शेयर्ड वॉर्डरोब के नाम से मशहूर इस लाइब्रेरी में सदस्यों के लिए ब्रांड और स्टाइल के आधार पर सैकड़ों चमकीले रंग के कोट, ओवरकोट और पैंट्स हैं. लाइब्रेरी के सदस्यों की जानकारी के लिए हर कपड़े पर प्रतिदिन किराए का टैग भी लगा है.

यहां मिलने वाले कपड़े का दैनिक किराया लगभग 50 यूरो सेंट से लेकर कुछ यूरो तक होता है. यह राशि सदस्यों की निष्ठा पर भी निर्भर करती है कि वे नियमित रूप से कितने और कितनी बार कपड़े किराए पर लेते हैं.

एनजीओ की कैंपेन मैनेजर 37 साल की शाकिर के लिए यह अवधारणा "वास्तव में अच्छी" है. उन्होंने कहा, "दुनिया भर में कई कपड़े खरीदे जाते हैं और फिर उनका कभी इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इस लाइब्रेरी के तहत धरती को नुकसान पहुंचाए बिना नए कपड़े पहनने का एक शानदार तरीका है."

कपड़ा उद्योग और प्रदूषण

अपशिष्ट और प्रदूषण को खत्म करने पर केंद्रित एक चैरिटी एलन मैकआर्थर फाउंडेशन के मुताबिक विश्वस्तर पर हर सेकंड एक ट्रक के बराबर कपड़े जलाए जाते हैं या फिर लैंडफिल में डाले जाते हैं. संयुक्त राष्ट्र ने भी कपड़ा उद्योग को 2022 में प्रमुख वायु प्रदूषक के रूप में बताया है. यूएन के मुताबिक कपड़ा उद्योग सालाना दो से आठ प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन में योगदान देता है.

यूएन का कहना है कि तेजी से बदलते फैशन के इस दौर में औसत व्यक्ति 15 साल पहले की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा कपड़े खरीदता है. जबकि प्रत्येक कपड़ा अपनी आधी अवधि तक ही इस्तेमाल में लाया जाता है.

फैशन उद्योग दुनिया के जल निकायों के एक चौथाई प्रदूषण और महासागरों में छोड़े जाने वाले एक तिहाई माइक्रोप्लास्टिक के लिए जिम्मेदार है. ये माइक्रोप्लास्टिक मछली और इंसानों के लिए जहरीले होते हैं.

कपड़ा उद्योग के कारण होने वाले प्रदूषण का सामना करते हुए, एलिसा जेनसन ने 2014 में अपनी दो बहनों और एक दोस्त के साथ सेंट्रल एम्सटर्डम के एक फैशनेबल इलाके में एक फैशन लाइब्रेरी "लीना" खोलने का फैसला किया.

जेनसन ने अपना करियर एक पुरानी दुकान से शुरू किया और कहती हैं कि उन्होंने हमेशा "कपड़ों को रीसाइक्लिंग पर काम किया है."

कम किराए पर नए कपड़े

उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हमने 2014 में इसे क्यों खोला? क्योंकि फैशन उद्योग दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में से एक है."

इस लाइब्रेरी की सदस्यता लेने के लिए कोई भी व्यक्ति 10 यूरो का शुल्क देकर सदस्य बन सकता है, जिसके बाद वह कपड़े उधार ले सकता है. जेनसन कहती हैं कि लाइब्रेरी के 6,000 से अधिक सदस्य हैं, लेकिन हर कोई नियमित यूजर्स नहीं है.

जेनसन के मुताबिक यह वास्तव में नौ साल पहले खोला गया अपनी तरह का पहला स्टोर था. इसी तरह की पहल पहले ऑस्ट्रेलिया, यूके, कनाडा, फ्रांस, स्कैंडिनेविया और स्विटजरलैंड जैसे देशों में शुरू की गई है, लेकिन जेनसन ने कहा कि स्कैंडिनेवियाई आउटलेट अब बंद हो गया है.

एए/सीके (एएफपी)