देश की खबरें | यूसीसी समतावादी समाज और लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति को दर्शाता है : उत्तराखंड सरकार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उत्तराखंड उच्च न्यायालय में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के जवाब में यूसीसी को सही ठहराते हुए राज्य सरकार ने कहा कि यह एक अधिक समतावादी समाज की ओर बढ़ने और लैंगिक समानता के प्रति प्रदेश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

नैनीताल, पांच अप्रैल उत्तराखंड उच्च न्यायालय में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के जवाब में यूसीसी को सही ठहराते हुए राज्य सरकार ने कहा कि यह एक अधिक समतावादी समाज की ओर बढ़ने और लैंगिक समानता के प्रति प्रदेश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सरकार ने कहा कि यूसीसी संविधान निर्माताओं के सपनों और उम्मीदों को भी साकार कर रहा है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने हाल ही में अदालत में दाखिल एक हलफनामे में कहा, ‘‘समान नागरिक संहिता एक अधिक समतावादी समाज की ओर बढ़ने और सामाजिक प्रगति व लैंगिक समानता के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’’

सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में संविधान के अनुच्छेद 44 का हवाला देते हुए बताया गया कि यह राज्य सरकार को व्यक्तिगत कानूनों को पूरी तरह से वैधानिक कानूनों से बदलने के लिए अपनी विधायी शक्ति का प्रयोग करने की अनुमति देता है।

हलफनामे के मुताबिक, राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों से संबंधित संविधान का अनुच्छेद 44 पूरे देश में एक समान नागरिक संहिता लाकर नागरिकों को सुरक्षित करने का प्रावधान करता है।

हलफनामे में बताया गया कि यूसीसी संविधान निर्माताओं के सपनों और उम्मीदों को पूरा करने का प्रयास करता है।

हलफनामे के मुताबिक, यूसीसी से यह भी पता चलता है कि धर्म आधारित व्यक्तिगत कानून धार्मिक समुदायों का सामूहिक मौलिक अधिकार नहीं है।

उत्तराखंड इस वर्ष 27 जनवरी को यूसीसी लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया।

हालांकि, यूसीसी के लागू होने के तुरंत बाद इसके विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गईं, विशेष रूप से सहजीवन संबंध के अनिवार्य पंजीकरण पर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, सहजीवन संबंध का अनिवार्य पंजीकरण लोगों के निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

यूसीसी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 22 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश गुहानाथन नरेंद्र की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की खंडपीठ सुनवाई करेगी।

सरकार ने जनहित याचिकाओं के जवाब में दाखिल अपने हलफनामे में बताया कि यूसीसी विधायी राज्य नीति के माध्यम से जनादेश की अभिव्यक्ति है। हलफनामे में यह भी बताया गया कि यूसीसी का मसौदा तैयार कर व्यापक परामर्श के बाद लागू किया गया।

हलफनामे के मुताबिक, यूसीसी लागू करने से पहले पूरे राज्य में 36 बैठकें आयोजित की गईं, जिनमें सार्वजनिक संवाद से लेकर पुलिस, कानून और समाज कल्याण विभागों के अधिकारियों के साथ चर्चाएं शामिल थीं।

हलफनामे में बताया गया, ‘‘उचित विचार-विमर्श, शोध और सुझावों के बाद यूसीसी तैयार किया गया और उसे लागू किया गया।’’

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