जरुरी जानकारी | वर्ष 2015-16 से 2019-20 के आईटीआर सत्यापन को लेकर 30 सितंबर तक का समय
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. आयकर विभाग ने सोमवार को उन करदाताओं को एक बारगी छूट दी है जिन्होंने आकलन वर्ष 2015-16 से 2019-20 के लिये इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल किये गये कर रिटर्न का अबतक सत्यापन नहीं किया है। विभाग ने 30 सितंबर, 2020 तक सत्यापन प्रक्रिया पूरी करने को कहा है।
नयी दिल्ली, 13 जुलाई आयकर विभाग ने सोमवार को उन करदाताओं को एक बारगी छूट दी है जिन्होंने आकलन वर्ष 2015-16 से 2019-20 के लिये इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल किये गये कर रिटर्न का अबतक सत्यापन नहीं किया है। विभाग ने 30 सितंबर, 2020 तक सत्यापन प्रक्रिया पूरी करने को कहा है।
कोई करदाता बिना डिजिटल हस्ताक्षर के अगर आयकर रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरता है, उसे उसका सत्यापन आधार ‘वन टाइप पासवर्ड’ या ई-फाइलिंग खाते पर नेट बैंकिंग के जरिये अथवा इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन कोड (ईवीसी) या आईटीआर-5 की फार्म पर हस्ताक्षर कर उसे सीपीसी बेंगलुरू भेजना होता है। उसे यह सब आईटीआर अपलोड होने के 120 दिनों के भीतर करना होता है।
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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक आदेश में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरे गये बड़ी संख्या में आईटीआर (आकर रिटर्न) अभी भी लंबित पड़े हैं। इसका कारण आईटीआर-5 (सत्यापन) फार्म संबंधित करदाताओं द्वारा ‘सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) बेंगलुरू नहीं भेजना है।
आदेश के अनुसार समय पर आईटीआर-5 नहीं जमा करने से रिटर्न को ‘नहीं भरा हुआ’ यानी अवैध घोषित कर दिया जाता है।
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इससे जुड़ी शिकायतों का एकबारगी समाधान के इरादे से सीबीटीडी ने आकलन वर्ष 2015-16, 2016-17, 2018-19 और 2019-20 के लिये इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल किये गये कर रिटर्न के सत्यापन की अनुमति दी है। इसके तहत या तो आईटी-5 फार्म पर दस्तखत कर उसे सीपीसी बेंगलुरूर भेजना होगा या फिर ईवीसी/ओटीपी के जरिये इसका सत्यापन किया जा सकता है। इस प्रकार के सत्यापन को 30 सितंबर 2020 तक पूरा किया जाना जरूरी है।
हालांकि बोर्ड ने स्पष्ट किया कि यह छूट उन मामलों में लागू नहीं होगी, जिसमें इस दौरान आयकर विभाग ने रिटर्न को ‘‘नहीं भरा हुआ’ घोषित किये जाने के बाद संबंधित करदाताओं के कर रिटर्न भरना सुनिश्चित करने के लिये कानून के तहत पहले से कोई कदम उठाया है।
नांगियां एंड कंपनी एलएलपी के भागीदार शैलेष कुमार ने कहा कि कई मामलों में सत्यापन प्रक्रिया नहीं होने पर आईटीआर को अवैध करार दिया जाता है। फलत: अगर कोई कर रिफंड बनता है या फिर कोई दावा है, वह भी अटक जाता है।
कुमार ने कहा, ‘‘इस आदेश के जरिये सरकार ने न केवल करदाताओं को पिछले रिटर्न के सत्यापन के लिये 30 सितंबर तक का समय दिया है बल्कि 31 दिसंबर तक 2020 तक उसके निपटान की भी अनुमति दी है। इससे उन करदाताओं को लाभ होगा, जिन्होंने किसी कारण से पहले के आईटीआर का सत्यापन नहीं करवा पाये।’’
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