पिछले 11 दिनों में सरकारी हेल्पलाइन पर घरेलू हिंसा और बच्चों के उत्पीड़न के हजारों फोन कॉल आये

नयी दिल्ली, आठ अप्रैल भारत में कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लागू ‘लॉकडाउन’ के दौरान उत्पीड़न और घरेलू हिंसा से सुरक्षा की मांग करते हुए चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन पर 92,000 से अधिक फोन कॉल आये। ये आंकड़े इस बात के संकेत देते हैं कि मौजूदा परिस्थितयों ने न सिर्फ कई महिलाओं को घरों की चहारदीवारी के अंदर कैद कर दिया है, बल्कि कई सारे बच्चे घरों में अपने उत्पीड़कों के साथ रहने को मजबूर हैं।

चाइल्डलाइन इंडिया की उपनिदेशक हरलीन वालिया ने बताया कि ‘चाइल्डलाइन 1098’ पर संकट में फंसे लोगों के 20 मार्च से 31 मार्च के बीच आये कुल 3.07 लाख कॉल में से 30 फीसदी, यानी 92,105 कॉल बच्चों के साथ होने वाले उत्पीड़न और हिंसा के बारे में थे।

वालिया के अनुसार राष्ट्रव्यापी लॉकडाइन की घोषणा के बाद शिकायतों की संख्या में 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

जिले की बाल संरक्षण इकाइयों के लिये आयोजित एक अनुकूलन कार्यशाला के दौरान ये आंकड़े साझा किये गये। इसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

कोरोना वायरस से संबंधित मुद्दों और लॉकडाउन के दौरान बच्चों पर तनाव को कम करने के उपायों पर चर्चा करने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की गई थी।

वालिया द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार कुल फोन कॉल में शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में 11 प्रतिशत, बाल श्रम की शिकायतों के बारे में आठ प्रतिशत, लापता और घर से भागे बच्चों के बारे में आठ प्रतिशत और बेघर लोगों के बारे में पांच प्रतिशत कॉल आये।

इसके अलावा हेल्पलाइन को कोरोना वायरस को लेकर सवाल पूछने के लिए 1,677 कॉल प्राप्त हुए और 237 लोगों ने बीमार लोगों की मदद के लिए कॉल किया।

वालिया ने सुझाव दिया है कि लॉकडाउन के दौरान हेल्पलाइन को एक आवश्यक सेवा घोषित किया जाए।

वहीं, घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं लॉकडाउन के दौरान और अधिक असुरक्षित हो गई हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा कि 24 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ़ रही हैं।

आयोग द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 24 मार्च से एक अप्रैल तक महिलाओं के खिलाफ विभिन्न अपराधों से संबंधित 257 शिकायतें प्राप्त हुईं हैं। इनमें से 69 शिकायतें घरेलू हिंसा से संबंधित हैं।

शर्मा ने कहा कि घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या असल में अधिक रही होगी, लेकिन महिलाएं हिंसा करने वाले के लगातार घरों में उपस्थित रहने के कारण शिकायत करने से डरती होंगी।

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