नयी दिल्ली, 17 मार्च विदेशी बाजारों में पाम, पामोलीन और सोयाबीन जैसे खाद्य तेलों के दाम बढ़ने और खाद्य तेलों की आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित रहने के कारण बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहनों की कीमतों में मजबूती रही।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में पाम, पामोलीन और सोयाबीन डीगम तेल के दाम मजबूत हुए हैं। महंगा होने की वजह से पाम-पामोलीन की आपूर्ति कमजोर है। इस तेल की कमी का दबाव भी सोयाबीन डीगम जैसे तेल पर है और संभवत: इसी कारण बंदरगाहों पर यह तेल पहले के लगभग 10 प्रतिशत की जगह अब 12-13 प्रतिशत प्रीमियम पर बिक रहा है।
सूत्रों ने कहा कि कुछ खाद्य तेल मामलों के तथाकथित प्रवक्ता पांच-छह महीने पहले बयान दे रहे थे कि देश में खाद्य तेलों की पाइपलाइन में आपूर्ति की कोई कमी नहीं है। लेकिन आज जब यही सस्ता विदेशी तेल बंदरगाहों पर थोक में प्रीमियम के साथ बेचा जा रहा है और सरसों की नयी फसल का आना जोरों पर है, तो इन लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि अगले 15 दिन में सोयाबीन डीगम और सूरजमुखी का आयात बढ़ने वाला है। लेकिन वे इस बात को नजरअंदाज कर जाते हैं कि जब पाइपलाइन में खाद्य तेलों की कोई कमी नहीं थी तो सोयाबीन डीगम 12-13 प्रतिशत प्रीमियम पर क्यों बिक रहा है?
सूत्रों ने कहा कि इन लोगों को यह बताना चाहिये कि तेल आपूर्ति की स्थिति कैसे सुधर जायेगी? अभी आने वाले अप्रैल में नवरात्र है और शादी विवाह की भी सबसे अधिक मांग रहने वाली है तो अचानक ऐसा क्या होने वाला है कि खाद्य तेलों की आपूर्ति सुधर जायेगी?
उन्होंने कहा कि जब तक पाम-पामोलीन पूरे दबाव के साथ नहीं आयेगा तब तक आपूर्ति में सुधार असंभव है क्योंकि देश में सबसे अधिक खपत इसी तेल की है और सूरजमुखी, सोयाबीन डीगम से महंगा बैठने के कारण इनका आयात प्रभावित है। तेल कमी की मौजूदा स्थिति में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला जैसे देशी तेल- तिलहनों की मांग बढ जानी चाहिये थी और कीमत में सुधार आना चाहिये था लेकिन ये देशी तिलहन एमएसपी से कम दाम पर बिक रहे हैं। डीगम और सूरजमुखी तेल का आयात बढ़ने की चर्चा सरसों किसानों के फसल को औने-पौने दाम पर बाजार में खपाने के लिए मजबूर करने के लिए भी हो सकती है जिसे किसी भी तरह से रोकना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय में देशी तेल-तिलहन नुकसान में हैं और विदेशी तेल (सोयाबीन डीगम) प्रीमियम पर बिक रहा है। देशी तेल मिलें घाटे में चल रही हैं क्योंकि सस्ते आयातित तेलों से उनके पेराई वाले खाद्य तेल बेपड़ता बैठते हैं। किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है। उपभोक्ताओं को खाद्य तेल महंगे में खरीदना पड़ रहा है।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 25 रुपये की तेजी के साथ 5,425-5,465 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 25 रुपये बढ़कर 10,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 5-5 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 1,750-1,850 रुपये और 1,750-1,855 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 35-35 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,645-4,665 रुपये प्रति क्विंटल और 4,445-4,485 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 500 रुपये, 500 रुपये और 525 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 11,200 रुपये और 10,900 रुपये और 9,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
खाद्य तेलों के कम आपूर्ति की स्थिति के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 150 रुपये की तेजी के साथ 6,125-6,400 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 500 रुपये और 70 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 15,000 रुपये क्विंटल और 2,250-2,525 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 325 रुपये की मजबूती के साथ 9,225 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 525 रुपये के बढ़त के साथ 10,650 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 525 रुपये की तेजी के साथ 9,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सुधार के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी 200 रुपये बढ़कर 9,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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