जरुरी जानकारी | उच्चतम न्यायालय ने डीआरटी लखनऊ को अधिकारों के हस्तांतरण के केंद्र के फैसले से असहमति जतायी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जबलपुर में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के अधिकार क्षेत्र और शक्ति को वहां पीठासीन अधिकारी की अनुपस्थिति में डीआरटी लखनऊ हस्तांतरित करने के केंद्र के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया। शीर्ष अदालत ने कहा कि "लोगों को कैसे अधर में छोड़ा जा सकता है।

नयी दिल्ली, 15 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जबलपुर में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के अधिकार क्षेत्र और शक्ति को वहां पीठासीन अधिकारी की अनुपस्थिति में डीआरटी लखनऊ हस्तांतरित करने के केंद्र के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया। शीर्ष अदालत ने कहा कि "लोगों को कैसे अधर में छोड़ा जा सकता है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण के नेतृत्व वाली पीठ ने इस बात पर गौर किया कि इससे वादियों को काफी परेशान होगी। पीठ ने कहा कि वह बहुत धैर्य के साथ सरकार द्वारा उचित कदम उठाने का इंतजार कर रही है। तीन सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ एवं न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव शामिल हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने महान्यायवादी के के वेणुगोपाल से कहा, "आपको नियुक्तियां करनी होंगी। आप सरकार से ऐसा करने के लिए कहें। समस्या के बारे में सब जानते हैं लेकिन हमें समाधान की फिक्र है।"

शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल कीएक याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें केंद्र द्वारा जारी उस अधिसूचना को चुनौती दी गयी है, जिसके माध्यम से जबलपुर में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) के अधिकार क्षेत्र और शक्ति को वहां पीठासीन अधिकारी की अनुपस्थिति में डीआरटी लखनऊ हस्तांतरित कर दिया गया था।

पीठ ने कहा, "कल्पना कीजिए कि कोई वादी कार्यवाही के उद्देश्य से जबलपुर से लखनऊ आ रहा है। वह व्यक्ति ऐसा कैसे करेगा। क्या उसे एक नया वकील रखना होगा या अपने वकील को जबलपुर से लखनऊ लेकर आना होगा? छत्तीसगढ़ के मामले में भी ऐसा ही है! और केरल उच्च न्यायालय ने केरल से बैंगलोर में अधिकार क्षेत्र हस्तांतरित करने वाली एक समान अधिसूचना को रद्द कर दिया है! यह पूरे देश के लिए प्रासंगिक है। यह केवल केरल तक ही सीमित नहीं है।"

पीठ ने कहा कि इसी तरह की स्थिति तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी बनी हुई है जहां हैदराबाद या विशाखापत्तनम में डीआरटी की कोई पीठ नहीं है।

न्यायालय ने महान्यायवादी के उस आश्वासन के बाद मामले को दो हफ्तों के लिए स्थगित कर दिया कि केंद्र खोज एवं चयन समिति द्वारा अनुशंसित व्यक्तियों की सूची में से दो हफ्ते में न्यायाधिकरणों में नियुक्तियां करेगा।

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