देश की खबरें | उच्चतम न्यायालय ने घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 के तहत शुरू किए गए मामलों की संख्या बताने को कहा

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नयी दिल्ली, एक मई उच्चतम न्यायालय ने राष्‍ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) को घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत अब तक शुरू किए गए मामलों की संख्या से अवगत कराने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि इस संबंध में ब्योरा हासिल करने के लिए नालसा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को एक उपयुक्त प्रश्नावली भेज सकता है और आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत अब तक शुरू किए गए मामलों की संख्या से अवगत कराने का राष्‍ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) को निर्देश देते हैं और कितने मामलों में संरक्षण अधिकारी/सेवा प्रदाता या आश्रय गृहों की सेवाओं की जरूरत पड़ी।’’

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा विचाराधीन ‘‘प्रोजेक्ट शक्ति’’ के साथ-साथ कानून एवं न्याय मंत्रालय के तत्वावधान में अन्य परियोजनाएं औपचारिक रूप दिये जाने के चरण में हैं। भाटी ने कहा कि ‘‘मिशन शक्ति’’ को पहले ही कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।

उच्चतम न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 20 जुलाई तय की।

उच्चतम न्यायालय घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को प्रभावी कानूनी सहायता प्रदान करने और उनके लिए आश्रय गृह बनाने के लिए देशभर में पर्याप्त बुनियादी ढांचे के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई करा रहा था।

याचिका में कहा गया है कि 15 साल से अधिक समय पहले कानून लागू होने के बावजूद घरेलू हिंसा भारत में महिलाओं के खिलाफ सबसे आम अपराध है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ के तहत दर्ज किए गए 4.05 लाख मामलों में से 30 प्रतिशत से अधिक घरेलू हिंसा के मामले थे।’’

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