विदेश की खबरें | सिंगापुर में ओमीक्रोन की लहर में जल्द ही चरम पर पहुंच सकते हैं मामले

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. सिंगापुर में कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप की लहर आने वाले कुछ दिनों में काफी तेजी से चरम पर पहुंच सकती है जैसा कि पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका में देखने को मिला था। मीडिया में रविवार को आई एक खबर में कहा गया कि चरम पर पहुंचने के वक्त शहर में एक दिन में संक्रमण के करीब 15,000 मामले सामने आ सकते हैं।

सिंगापुर, 16 जनवरी सिंगापुर में कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप की लहर आने वाले कुछ दिनों में काफी तेजी से चरम पर पहुंच सकती है जैसा कि पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका में देखने को मिला था। मीडिया में रविवार को आई एक खबर में कहा गया कि चरम पर पहुंचने के वक्त शहर में एक दिन में संक्रमण के करीब 15,000 मामले सामने आ सकते हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, सिंगापुर में शनिवार को ओमीक्रोन स्वरूप के 692 मामले सामने आए थे जिनमें से 541 स्थानीय रूप से फैले और 15 विदेशों से संक्रमित होकर आए।

यहां हाल के हफ्तों में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जहां संक्रमण के दैनिक मामलों में से ज्यादातर ओमीक्रोन के मामले हैं।

‘स्ट्रेट्स टाइम्स’ अखबार ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के सॉ स्वी हॉक स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के संक्रामक रोग मॉडलिंग विशेषज्ञ एसोसिएट प्रोफेसर एलेक्स कुक के हवाले से कहा, “मेरा अनुमान है कि हम दक्षिण अफ्रीका की तरह एक तेज चरम देखेंगे और उसके बाद यह घटने लगेगा। उसके बाद ही संख्या स्थिर हो पाएगी जब संक्रमण के मामले काफी कम होंगे।”

खबर में कहा गया कि दैनिक मामलों की नई संख्या को देखते हुए, सिंगापुर में जल्द ओमीक्रोन की ऐसी लहर आएगी जिसमें हर दिन 10,000 से 15,000 मामले सामने आ सकते हैं।

इसमें कहा गया कि अगली लहर कितनी तेजी से कम होगी यह सिंगापुर द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर निर्भर करेगा।

खबर में प्रोफेसर कुक के हवाले से कहा गया, “यह हो सकता है हम कम, धीमे या धीरे-धीरे बढ़ती लहर का सामना करें और हमें उन उपायों को बरकरार रखना होगा जो वर्तमान में अमल में हैं।”

प्रोफेसर कुक के गंभीर पूर्वानुमान के बावजूद, सॉ स्वी हॉक स्कूल के डीन प्रोफेसर टीओ यिक यिंग जैसे अन्य लोग अधिक सकारात्मक दिखे। उनका मानना है कि सरकार के कड़े प्रबंधन उपायों के कारण सिंगापुर में यह स्वरूप यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी देशों की तुलना में बहुत धीरे-धीरे फैल रहा है।

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