जरुरी जानकारी | विदेशी बाजारों में मंदी और वार्षिक लेखाबंदी से मांग घटने से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच वित्त वर्ष के अंतिम दिनों में व्यापारियों की लिवाली घटने से बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में कच्चे पामतेल, सीपीओ, सोयाबीन तेल, मूंगफली और सरसों तेल के भाव हानि दर्शाते बंद हुए जबकि सस्ता होने के कारण देशी तेल की मांग बढ़ने से सरसों, सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।
नयी दिल्ली, 27 मार्च विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच वित्त वर्ष के अंतिम दिनों में व्यापारियों की लिवाली घटने से बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में कच्चे पामतेल, सीपीओ, सोयाबीन तेल, मूंगफली और सरसों तेल के भाव हानि दर्शाते बंद हुए जबकि सस्ता होने के कारण देशी तेल की मांग बढ़ने से सरसों, सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।
बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह वार्षिक लेखाबंदी का समय नजदीक आने के बीच कारोबारी नये सौदों में कारोबार करने से बचते दिखे जिससे गिरावट को बल मिला। उन्होंने कहा कि मंदी के बावजूद भी मूंगफली और बिनौला तेल की बाजार में कम उपलब्धता रह गई है। अभी भी आयातित तेलों के भाव से देशी तेल सस्ते हैं। महंगे आयातित तेलों की कमी को सरसों और मूंगफली से पूरा करने की कोशिश जारी है क्योंकि इस साल सरसों की पैदावार अच्छी है।
सूत्रों ने कहा कि सीपीओ और पामोलीन तेल के टूटने से इस बार मलेशिया एक्सचेंज नीचे आया है। एक समय सीपीओ और पामोलीन का भाव संभवत: पहली बार सोयाबीन से भी अधिक हो गया था जो अब फिर से सोयाबीन से 50-60 डॉलर प्रति टन नीचे हो गया है। भाव में पहले के मुकाबले कमी जरूर आई है लेकिन अभी भी ये दाम अपने सामान्य भाव से अधिक ही हैं।
उन्होंने बताया कि मूंगफली में गिरावट आने से बिनौला तेल में भी नरमी है। बिनौला की पैदावार कम होने से इसकी कमी है। पंजाब, हरियाणा में इसकी अगली फसल सितंबर-अक्टूबर के महीने में आयेगी।
विदेशी कारोबार में मंदी का रुख था और आयातित तेलों के दाम कुछ घटने के बाद भी अभी मजबूत बने हुए हैं। इनके मुकाबले देशी तेल सस्ते हैं। सोयाबीन डीगम और सीपीओ एवं पामोलीन के महंगा होने के साथ इन तेलों के लिवाल कम हैं। आयातित तेल महंगा होने के बाद इनकी जगह उपभोक्ता सरसों, मूंगफली, बिनौला की अधिक खपत कर रहे हैं। इन कारणों से समीक्षाधीन सप्ताहांत में तेल-तिलहनों के भाव हानि दर्शाते बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि आयातित तेलों की कमी को देखते हुए लोग सरसों की अधिक पैदावार का उपयोग इसका रिफाइंड बनाने के लिए कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात में सरसों से काफी मात्रा में रिफाइंड बनाया जा रहा है। इसके अलावा सरकार को बाजार भाव से सरसों खरीद पर भी ध्यान देना चाहिये क्योंकि अभी तक किसान वहां नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि उन्हें बाजार भाव से कम दाम का प्रस्ताव किया जा रहा है। हाफेड के अपने खुद के तेल संयंत्र हैं, कम से कम आड़े वक्त के लिए उसे सरसों का स्टॉक बनाने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिये, नहीं तो आगे जाकर भारी दिक्कत आ सकती है। पिछले साल आयातित तेलों से सरसों की कमी को पूरा किया गया था। इस बार आयातित तेल महंगे हैं। इसके साथ ही अपनी तरफ से तिलहन का स्टॉक नहीं रहने पर स्थिति काफी गंभीर हो सकती है। सरसों का कोई विकल्प नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार किसानों की आमदनी बढ़ा दे और उन्हें प्रोत्साहन देती रहे, तो वे अपने-आप पैदावार बढ़ा देंगे। तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ने से देश आत्मनिर्भर होगा और विदेशी मुद्रा की बचत होगी जिससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रोजगार बढ़ेगा।
सूत्रों ने बताया कि विदेशी बाजारों में मंदी और स्थानीय आवक बढ़ने के कारण अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 100 रुपये बढ़कर 7,600-7,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। सरसों दादरी तेल 15,300 रुपये क्विंटल पर स्थिर बंद हुआ। दूसरी ओर सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 10-10 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 2,415-2,490 रुपये और 2,465-2,565 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह विदेशों में मंदी के बावजूद सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 100-100 रुपये के लाभ के साथ क्रमश: 7,525-7,575 रुपये और 7,225-7,325 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 400 रुपये, 200 रुपये और 500 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 16,100 रुपये, 15,800 रुपये और 14,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाने का भाव 100 रुपये घटकर 6,600-6,695 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली सॉल्वेंट के भाव क्रमश: 200 रुपये और 15 रुपये घटकर क्रमश: 15,400 रुपये प्रति क्विंटल और 2,565-2,755 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 500 रुपये घटकर 14,100 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव भी 250 रुपये की हानि दर्शाता 15,600 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 200 रुपये की गिरावट के साथ 14,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव भी 100 रुपये की हानि दर्शाता 14,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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