देश की खबरें | न्यायालय उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने वाले संशोधित अधिनियम की वैधता की पड़ताल करेगा

नयी दिल्ली, तीन मार्च उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के उप राज्यपाल को कथित तौर पर अधिक शक्तियां देने वाले एक संशोधित अधनियम की संवैधानिक वैधता की पड़ताल करने का बृहस्पतिवार को फैसला किया। साथ ही, दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र से जवाब भी मांगा।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मार्फत दायर अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधाानी दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम,2021 के चार संशोधित अनुभागों और 1993 के जीएनसीटीडी नियमावली के कामकाज संबंधी 13 नियमों को इस आधार पर रद्द करने का आग्रह किया है कि वे संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत, शक्तियों के पृथ्क्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं क्योंकि उप राज्यपाल को कहीं अधिक शक्तियां दे दी गई हैं।

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र के वकील को चार हफ्तों के अंदर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

पीठ ने यह भी कहा कि तीन न्यायाधीशों की एक पीठ इस विवादित मुद्दे पर एक अन्य याचिका पर छह अप्रैल को सुनवाई करेगी कि दिल्ली में प्रशासनिक शक्तियों का नियंत्रण किसके हाथ में रहना चाहिए। यह विवाद 2019 में न्यायालय के एक फैसले से उत्पन्न हुआ था।

उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी 2019 को न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण (दोनों अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं) ने प्रधान न्यायाधीश से सिफारिश की थी कि इसके बंटे हुए फैसले के मद्देनजर दिल्ली में शक्तियों के नियंत्रण के मुद्दे पर अंतिम फैसला करने के लिए तीन न्यायाधीशों की एक पीठ गठित की जाए।

न्यायालय ने कहा कि वह छह अप्रैल को मामले की सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की एक पीठ गठित करेगी।

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