देश की खबरें | ओडिशा में वन विभाग की मंजूरी के बिना जारी खनन गतिविधियों पर न्यायालय ने जताई नाराजगी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा में कुछ कंपनियों द्वारा “यथास्थिति” के आदेशों की आड़ में वन विभाग से मंजूरी (एफसी) प्राप्त किए बिना खनिजों का “अवैध खनन” जारी रखने की घटनाओं का सोमवार को संज्ञान लिया।

छह जून उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा में कुछ कंपनियों द्वारा “यथास्थिति” के आदेशों की आड़ में वन विभाग से मंजूरी (एफसी) प्राप्त किए बिना खनिजों का “अवैध खनन” जारी रखने की घटनाओं का सोमवार को संज्ञान लिया।

शीर्ष अदालत ने उड़ीसा उच्च न्यायालय को ऐसे मामलों का छह महीने के भीतर निपटारा करने का निर्देश भी दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात को लेकर कड़ी नाराजगी जताई कि जिन खनन कंपनियों को केंद्र और अन्य प्राधिकरणों द्वारा एफसी नहीं दिया गया है, वे इस आधार पर खनिजों का "अवैध खनन" जारी रखे हुए हैं कि उच्च न्यायालय ने इस विवाद के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं।

न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, "उच्च न्यायालय से यथास्थिति के आदेश की आड़ में अधिकारियों से वन संबंधी मंजूरी प्राप्त किए बिना खनन कैसे जारी रखा जा सकता है।"

पीठ ने कहा, “वन संबंधी मंजूरी के बिना खनन कार्य के जरिये प्राप्त की गई कोई भी चीज अवैध है। आपको वन संबंधी मंजूरी के बिना खनिजों का उत्खनन या निष्कर्षण जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उच्च न्यायालय यथास्थिति के ऐसे आदेश पारित कर रहे हैं और खनन कार्य जारी रखने की अनुमति दे रहे हैं।”

पीठ ने मैसर्स बालासोर एलॉयज लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। ओडिशा की इस कंपनी ने अपने पक्ष में यथास्थिति के आदेश को जारी रखने से उच्च न्यायालय के इनकार करने के खिलाफ याचिका दायर की थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह कंपनी को याचिका वापस लेने की अनुमति देगी, लेकिन कंपनी को खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि उसके पास खनन कार्य के लिए वन संबंधी मंजूरी नहीं है, इसलिए खनन कार्य अवैध है और ऐसा नहीं किया जा सकता है।

उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, "मौजूदा मामले की सुनवाई पूरी करने से पहले हम उड़ीसा उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह बिना किसी असफलता के आज से छह महीने की अवधि के भीतर ऐसे सभी लंबित मामलों का निपटान करे, जिनमें यथास्थिति का आदेश लंबे समय से प्रभावी है और खनन गतिविधियों को यथास्थिति के तहत जारी रखा गया है।"

पीठ ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को आवश्यक कार्रवाई के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया।

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