राज्यों के कोष में दी जाने वाली राशि कंपनी कानून के तहत हमेशा ही रही सीएसआर के दायरे से बाहर

सूत्रों का कहना है कि सीएसआर की रूपरेखा एक अप्रैल 2014 से अमल में आयी है। तब से ही कंपनी कानून के तहत मुख्यमंत्री राहत कोषों समेत राज्यों के बनाये विशेष कोषों में दी गयी राशि सीएसआर के दायरे से बाहर है।

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नयी दिल्ली, 12 अप्रैल मुख्यमंत्री राहत कोषों समेत राज्यों के बनाये विशेष कोषों में दी गयी राशि हमेशा से ही कंपनी कानून के तहत कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के दायरे से बाहर रही है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह कहा।

सूत्रों का कहना है कि सीएसआर की रूपरेखा एक अप्रैल 2014 से अमल में आयी है। तब से ही कंपनी कानून के तहत मुख्यमंत्री राहत कोषों समेत राज्यों के बनाये विशेष कोषों में दी गयी राशि सीएसआर के दायरे से बाहर है।

उन्होंने कहा कि कंपनी कानून के सीएसआर संबंधी प्रावधानों में केंद्र सरकार ने 27 फरवरी 2014 को संशोधन किया। इस संशोधन में पात्र कोषों में सिर्फ प्रधानमंत्री राहत कोष तथा इस कोष के उद्देश्यों को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बनाये अन्य कोषों को शामिल किया गया। राज्य सरकारों के बनाये कोषों को संशोधन में भी शामिल नहीं किया गया।

कंपनी कानून का क्रियान्वयन करने वाले कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि पीएम-केयर्स कोष में दिये जाने वाले योगदान को सीएसआर खर्च माना जाएगा। मंत्रालय ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों को भी सीएसआर के जरिये पैसे जुटाने की छूट दी है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा था कि सीएसआर सिर्फ प्रधानमंत्री राहत कोष में दिये गये योगदान पर लागू नहीं होना चाहिये। यदि यह मुख्यमंत्री राहत कोष तथा राज्यों के अन्य कोष में दिये गये योगदान पर लागू नहीं होता है, तो यह संघीय ढांचे पर हमला है।

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