देश की खबरें | आरोपियों ने जेएनयू, टीआईएसएस के छात्रों को आतंकी गतिविधि के लिए भर्ती किया: एनआईए

मुंबई, 23 अगस्त राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने आरोप लगाया है कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपियों ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस) जैसे प्रसिद्ध संस्थानों के छात्रों को आतंकवादी गतिविधि के लिए भर्ती किया था।

केंद्रीय एजेंसी ने यहां एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किए गए अपने मसौदा आरोपों में यह दावा किया है। एनआईए ने इस महीने की शुरुआत में 15 आरोपियों को नामजद करते हुए आरोपों का मसौदा पेश किया और दस्तावेज की एक प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई।

मसौदे में दावा किया गया है, ‘‘साजिश को आगे बढ़ाने के लिए, आरोपी व्यक्तियों, प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन भाकपा (माओवादी) और उसके प्रमुख संगठनों के सक्रिय सदस्य होने के नाते, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के साथ-साथ टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (जिसका मुख्य परिसर मुंबई में है) सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों से आतंकवादी गतिविधि के लिए छात्रों की भर्ती की थी।’’

आतंकवाद रोधी एजेंसी ने दावा किया कि आरोपी व्यक्तियों ने भाकपा (माओवादी) की आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सभी स्तरों पर कैडरों की भर्ती के लिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए। मसौदे में 15 आरोपियों के खिलाफ 17 अपराध लगाये गये हैं, और उन पर कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने की मांग की गई है।

एजेंसी ने आरोप लगाया कि आरोपी व्यक्ति भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं और वे प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन को उसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए समर्थन के वास्ते बैठकों की व्यवस्था और प्रबंधन करते थे।

एनआईए ने आरोप लगाया कि आरोपी व्यक्तियों ने आतंकवाद के उद्देश्यों के लिए भी धन एकत्र किया।

विशेष एनआईए अदालत ने अभी तक मामले में आरोप तय नहीं किए हैं। अदालत ने पहले कहा था कि वह आरोपों पर सुनवाई करने से पहले आरोपी व्यक्तियों द्वारा दायर सभी आवेदनों का निपटारा करेगी। विशेष एनआईए न्यायाधीश डी ई कोठालीकर ने सोमवार को दो आरोपियों - गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बडे द्वारा दाखिल अस्थायी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया।

मामले में आरोपी व्यक्तियों में सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्विस, नवलखा, तेलतुम्बडे, वरवर राव, हनी बाबू और शोमा सेन जैसे कार्यकर्ता और शिक्षाविद शामिल हैं।

गौरतलब है कि एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एक सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया कि इसके अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई।

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