देश की खबरें | दंपति को परिवार अदालत भेजे बगैर विवाह विच्छेद पर एक मई को उच्चतम न्यायालय सुना सकता है फैसला

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय तलाक के लिए सहमत दंपति को विवाह विच्छेद के लिए परिवार अदालतों में भेजे बगैर संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शीर्ष न्यायालय को प्रदत्त असीम शक्तियों का उपयोग करने के लिए व्यापक मानदंडों पर एक मई को फैसला सुना सकता है।

नयी दिल्ली, 29 अप्रैल उच्चतम न्यायालय तलाक के लिए सहमत दंपति को विवाह विच्छेद के लिए परिवार अदालतों में भेजे बगैर संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शीर्ष न्यायालय को प्रदत्त असीम शक्तियों का उपयोग करने के लिए व्यापक मानदंडों पर एक मई को फैसला सुना सकता है।

न्यायमूर्ति एस.के. कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति ए.एस.ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे.के.माहेश्वरी की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 29 सितंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

न्यायालय ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि सामाजिक बदलाव होने में ‘थोड़ा वक्त’ लगता है और कभी-कभी कानून लाना आसान होता है, लेकिन इसके साथ बदलने के लिए समाज को मनाना मुश्किल होता है।

शीर्ष न्यायालय ने भारत में विवाह में परिवार के बड़ी भूमिका निभाने की बात स्वीकार की थी।

संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित किसी विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए शीर्ष न्यायालय के आदेशों को लागू किये जाने से संबद्ध है।

शीर्ष न्यायालय इस विषय पर भी विचार कर रहा है कि अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त उसकी असीम शक्तियां क्या किसी भी तरह से एक ऐसी परिस्थिति में बाधित होती हैं, जब अदालत के अनुसार विवाह विच्छेद तो हो जाता है लेकिन एक पक्ष तलाक का प्रतिरोध करता है।

यहां दो सवाल उठते हैं जो पूर्व में संविधान पीठ के पास भेजे गये थे, इसमें यह शामिल है कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत उच्चतम न्यायालय द्वारा इस तरह के अधिकार क्षेत्र का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, या इस तरह के कार्य को प्रत्येक मामले में तथ्यों के आधार पर निर्धारित करने के लिए छोड़ देना चाहिए।

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