नयी दिल्ली, 20 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आपराधिक मानहानि के एक मामले में निचली अदालत में लंबित कार्यवाही को चुनौती देने वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका की विचारणीयता के मुद्दे पर पहले उनसे दलील पेश करने को कहा।
उनके खिलाफ यह मामला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने दायर किया था।
मानहानि मामले में स्वामी ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया है और अपने खिलाफ कार्यवाही रद्द करने का अनुरोध किया है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने यह विचार व्यक्त किया कि स्वामी को सीधे उच्च न्यायालय आने से पहले निचली अदालत का रुख करना चाहिए, जो एक सत्र अदालत है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘(याचिका) विचार करने योग्य है या नहीं, इस पर दलील पेश की जाए।’’
चूंकि, बग्गा की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ, जिस पर उच्च न्यायालय ने कहा कि उन्हें संबद्ध पुलिस थाने के प्रभारी के जरिये नोटिस तामील किया जाए। इसने साथ ही, विषय की अगली सुनवाई 23 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी।
उच्च न्यायालय ने चार अप्रैल 2022 को मानहानि मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और स्वामी की याचिका पर बग्गा को नोटिस जारी किया था।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 22 मार्च 2022 को पूर्व राज्यसभा सदस्य को मानहानि मामले में आरोपी के रूप में तलब करते हुए आदेश पारित किया था और कहा था कि उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार हैं।
बग्गा ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि सितंबर 2021 में स्वामी ने एक ट्वीट में यह झूठा आरोप लगाया था कि (बग्गा) भाजपा में शामिल होने से पहले मामूली अपराधों को लेकर कई बार जेल गए थे।
स्वामी के वकील ने दलील दी थी कि निचली अदालत का आदेश गलत व्याख्या पर आधारित है क्योंकि उनके ट्वीट का गलत अर्थ निकाला गया।
निचली अदालत ने कहा था कि वह प्रथम दृष्टया इस बात से संतुष्ट है कि मानहानि मामले में स्वामी को तलब करने के लिए पर्याप्त आधार हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)