स्वास्थ्य कर्मियों के पुख्ता सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित करें राज्य सरकारें, जारी किया अध्यादेश : स्वास्थ्य मंत्रालय
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नयी दिल्ली, 22 अप्रैल केन्द्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ देशव्यापी अभियान में अग्रिम पंक्ति के योद्धा के रूप में कार्यरत चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने का सभी राज्य सरकारों को निर्देश देते हुये स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध घोषित करने वाला एक अध्यादेश बुधवार को जारी किया।

मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न करने वालों को सख्त संदेश देते हुये इस अध्यादेश को मंजूरी दी है। इसमें कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा और उनके उत्पीड़न को संज्ञेय एवं गैर जमानती अपराध बनाया गया है। अध्यादेश में इस जुर्म के लिये अधिकतम सात साल कैद और पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है ।

इसके अलावा मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भी पत्र लिख कर स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये हरसंभव कारगर उपाय करने का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने पत्र में राज्य सरकारों से कहा है कि कोरोना वायरस संकट के कारण उपजी मौजूदा परिस्थितियों में चिकित्सा कर्मियों की सेवाओं के महत्व को देखते हुये उन्हें अन्य सभी सेवाओं की तुलना में विशिष्ट स्थान दिया जाये। मंत्रालय ने राज्य सरकारों से इस अभियान में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों को बीमा सुरक्षा सहित अन्य सभी सहूलियतें भी देने को कहा है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना के खिलाफ देशव्यापी अभियान को सफल बनाने में लगे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मियों पर हाल ही में हुये हमले की घटनाओं पर चिकित्सकों के संगठन ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आईएमए) ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुये विरोध दर्ज कराया था।

इस मामले में बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन के साथ आईएमए के प्रतिनिधियों की बैठक में सरकार की ओर से स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होने देने के आश्वासन पर संगठन ने अपने प्रस्तावित सांकेतिक विरोध प्रदर्शन को स्थगित कर दिया।

बैठक में आईएमए के अध्यक्ष डा. राजन शर्मा, महासचिव आर वी अशोकन और पूर्व सचिव डा. रवि मलिक सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक के बाद डा. मलिक ने बताया कि लगभग एक घंटे तक चली बैठक में गृह मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने इस समस्या पर संगठन के प्रतिनिधियों के सुझावों पर सहमति व्यक्त की।

उन्होंने बताया कि बैठक में गृह मंत्री ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जारी अभियान में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को खतरे में डालने वाली 19 वारदातें अब तक दर्ज की जा चुकी हैं। डा मलिक ने कहा कि सरकार ने इस समस्या के समाधान की दिशा में तत्परता दिखाते हुये अध्यादेश जारी किया है, यह स्वागत योग्य है।

मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कोरोना के संक्रमण की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी देते हुये बताया गया कि कोविड-19 के संक्रमण से पिछले 24 घंटों के दौरान देश में 50 लोगों की मौत हो गयी और इस दौरान संक्रमण के 1383 नये मामले सामने आये हैं।

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 19,984 और मृतकों की संख्या 652 हो गयी है। हालांकि, उपचार के बाद स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़कर 3870 हो गयी है। यह आंकड़ा संक्रमण की चपेट में आये मरीजों का 19.36 प्रतिशत है।

मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षणों के आधार पर संभावित मरीजों का पता लगाने के लिये देशव्यापी स्तर पर एक ‘फोन सर्वेक्षण’ कराने की पहल की है। राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) द्वारा किये जा रहे इस सर्वेक्षण में फोन नंबर 1921 से लोगों के मोबाइल फोन पर कॉल की जायेगी। मंत्रालय ने देश के नागरिकों से इस सर्वेक्षण में भागीदारी करने और सही प्रत्युत्तर (फीडबैक) देने की अपील करते हुये कहा कि इसमें सभी से कोरोना वायरस महामारी के लक्षणों के बारे में पूछा जायेगा।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के लक्षण उभरे बिना ही संक्रमण के मामले सामने आने के बाद सरकार ने इस सर्वेक्षण के माध्यम से संभावित संक्रमितों की पहचान करने के लिये यह पहल की है। मंत्रालय ने हालांकि, इस सर्वेक्षण की आड़ में मिलते जुलते फोन नंबरों से होने वाले फर्जी सर्वेक्षणों से बचने की सलाह देते हुये लोगों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उनके फोन पर 1921 नंबर से ही कॉल की गयी है या नहीं। मंत्रालय ने राज्य सरकारों से भी इस सर्वेक्षण के बारे में लोगों को स्थानीय स्तर पर अवगत कराने के लिये कहा है।

निर्मल

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