देश की खबरें | अंतरिक्ष केवल खगोलशास्त्री होने के उत्साह के बारे में नहीं, बल्कि समय लेने वाला विज्ञान भी : इसरो प्रमुख

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान में केवल खगोलशास्त्री बनने का उत्साह शामिल नहीं है, बल्कि यह एक जटिल और समय लेने वाला विषय भी है, जिसमें वर्षों तक लगातार अध्ययन के जरिये धीमे-धीमे ही विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है।

बेंगलुरु, नौ जनवरी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान में केवल खगोलशास्त्री बनने का उत्साह शामिल नहीं है, बल्कि यह एक जटिल और समय लेने वाला विषय भी है, जिसमें वर्षों तक लगातार अध्ययन के जरिये धीमे-धीमे ही विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है।

अंतरिक्ष विभाग में सचिव सोमनाथ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इसरो के अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता प्रशिक्षण (स्टार्ट 2025) कार्यक्रम के तीसरे संस्करण की शुरुआत के मौके पर दिए संबोधन में यह टिप्पणी की।

सोमनाथ ने बताया कि इस साल 560 से अधिक संस्थानों के 20,000 छात्रों ने 9 से 29 जनवरी तक आयोजित किए जाने वाले स्टार्ट कार्यक्रम के लिए पंजीकरण कराया है।

उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड के रहस्य भले ही स्वाभाविक रूप से सबसे पहले ध्यान आकर्षित करते हैं, लेकिन अंतरिक्ष विज्ञान जटिल गणनाओं और सूत्रों पर माथापच्ची करने के बारे में अधिक है, जिसमें बेहतर सेंसर तैयार करना और उपग्रह व रॉकेट बनाना शामिल है।

सोमनाथ ने कहा, “स्टार्ट कार्यक्रम में हम इन सभी के बारे में बात करेंगे। हम अपने रोमांचक अंतरिक्ष अभियानों पर चर्चा करेंगे। लेकिन हम आपको रॉकेट के निर्माण एवं प्रक्षेपण के तरीके और कक्षाओं तथा प्रक्षेप पथों के विज्ञान के बारे में भी थोड़ी जानकारी देंगे।”

इसरो प्रमुख ने अंतरिक्ष विज्ञान के विशाल दायरे का हवाला देते हुए छात्रों को अपनी प्राथमिकताओं और रुचियों को समझने की सलाह दी, ताकि वे एक ऐसा क्षेत्र चुन सकें, जिसमें वे विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि इसके लिए आपको अपनी क्षमता को समझने और प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए उपलब्ध विकल्पों पर थोड़ा और विचार करने की जरूरत है। वास्तव में एक महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक या इंजीनियर बनने के लिए अच्छे संस्थानों को चुनना और उन संस्थानों में पढ़ने का लक्ष्य रखना बहुत अहम है।”

सोमनाथ ने छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान की जटिल प्रकृति से न घबराने और जो भी पढ़ाया-सिखाया जाता है, उस पर खुले दिमाग से ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।

सोमनाथ ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और ‘मशीन लर्निंग’ जैसी अत्याधुनिक तकनीक के साथ, जो अंतरिक्ष विज्ञान का दायरा बढ़ा रही हैं, भविष्य में चीजों के बहुत अलग होने की संभावना है।

उन्होंने कहा, “हम जिस तरह से काम कर रहे हैं, हो सकता है कि आप उससे अलग तरीके से काम करें।”

सोमनाथ ने छात्रों से अतिरिक्त प्रयास करने का आग्रह करते हुए कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान में भविष्य की अपार संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा, “संभव है कि भविष्य में आप एआई टूल पर आधारित रॉकेट डिजाइन करें। किसी दिन आप एक ऐसा सॉफ्टवेयर बना सकते हैं, जिससे आप कह सकते हैं, ‘मेरे लिए एक रॉकेट डिजाइन करो।’ मैं केवल यही कामना कर रहा हूं कि आप भविष्य में ऐसी संभावनाएं पैदा करें।”

कार्यक्रम में इसरो के पूर्व अध्यक्ष और एपेक्स साइंस बोर्ड इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि स्टार्ट कार्यक्रम के पीछे का मकसद छात्रों को अंतरिक्ष के क्षेत्र में मौजूद अवसरों के बारे में जानने में सक्षम बनाना है।

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