कश्मीर में मध्यम बर्फबारी का पूर्वानुमान

कश्मीर में अधिकतर स्थानों पर शनिवार रात न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे दर्ज किया गया और मौसम विभाग ने रविवार से अगले दो दिनों तक केंद्र शासित प्रदेश में हल्की से मध्यम बर्फबारी का पूर्वानुमान व्यक्त किया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

बर्फबारी (Photo: PTI)

श्रीनगर, 27 दिसंबर : कश्मीर में अधिकतर स्थानों पर शनिवार रात न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे दर्ज किया गया और मौसम विभाग ने रविवार से अगले दो दिनों तक केंद्र शासित प्रदेश में हल्की से मध्यम बर्फबारी का पूर्वानुमान व्यक्त किया है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि कोकेरनाग और पहलगाम को छोड़कर शनिवार रात को समूची घाटी में न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई. श्रीनगर में शनिवार को न्यूनतम तापमान शून्य से 1.8 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया जबकि शुक्रवार की रात यह 1.7 डिग्री सेल्सियस था. उन्होंने बताया कि घाटी के काजीगुंड में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग में न्यूनतम तापमान शून्य से 0.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया.

उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में पारा शून्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज नीचे किया गया. वार्षिक अमरनाथ यात्रा के आधार शिविर के रूप में कार्य करने वाले पहलगाम का न्यूनतम तापमान शून्य से 3.8 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जो पूर्ववर्ती रात के शून्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान से अधिक है. गुलमर्ग में तापमान शुक्रवार रात के तापमान से एक डिग्री कम यानी शून्य से 7.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. इस बीच, मौसम विज्ञान विभाग के कार्यालय ने बताया कि रविवार से आगामी दो दिन तक बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है. उसने बताया कि रविवार शाम से सोमवार सुबह तक हल्की से मध्यम बर्फबारी होने का अनुमान है. यह भी पढ़ें : Madhya Pradesh: इंदौर में कोविड-19 के ओमीक्रोन स्वरूप के आठ मामले सामने आए

कश्मीर में 40 दिन का 'चिल्लई कलां' का दौर मंगलवार से शुरू हो गया. इस दौरान क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ती है और तापमान में भी गिरावट दर्ज की जाती है, जिससे यहां की प्रसिद्ध डल झील के साथ-साथ घाटी के कई हिस्सों में पानी की आपूर्ति लाइनों सहित जलाशय जम जाते हैं. इस दौरान अधिकतर इलाकों में बर्फबारी की संभावना भी सबसे अधिक रहती है और खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में भारी हिमपात होता है. ‘चिल्लई कलां’ के 31 जनवरी को खत्म होने के बाद, 20 दिन का ‘चिल्लई-खुर्द’ और फिर 10 दिन का ‘चिल्लई बच्चा’ का दौर शुरू होता है.

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