नयी दिल्ली, नौ जुलाई: ऐसे वक्त में जब फलों और सब्जियों से लेकर खाद्य तेल और बिजली की कीमतें आसमान छू रही हैं, एलपीजी रसोई गैस की रिकॉर्ड कीमत ने आम आदमी का बजट और बिगाड़ दिया है. खासतौर से निर्धन तबके को इसकी तपिश अधिक महसूस हो रही है. इस सप्ताह रसोई गैस की दरों में 50 रुपये प्रति सिलेंडर (14.2 किलोग्राम) की बढ़ोतरी की गई. इसके साथ ही पिछले एक साल में कुल वृद्धि 244 रुपये या 30 प्रतिशत हो गई है.
बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर (उज्ज्वला योजना की गरीब महिला लाभार्थियों को छोड़कर) की कीमत अब 1,053 रुपये हो गई है. उज्ज्वला लाभार्थियों को प्रति सिलेंडर 853 रुपये का भुगतान करना होगा. आंध्र प्रदेश के तेनाली शहर में 38 वर्षीय गृहिणी एम मल्लिका ने कहा, ‘‘एलपीजी धुआं रहित ईंधन है लेकिन फिर भी यह हमारे आंसू निकाल रहा है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘तीन महीनों में एलपीजी के एक सिलेंडर कीमत बिना करों के 150 रुपये बढ़ी है, और कुल मिलाकर वृद्धि लगभग 160 रुपये हुई है. एक सिलेंडर अब 1,075 रुपये (आंध्र प्रदेश) में है. यह निश्चित रूप से एक भारी बोझ है.’’
वैट जैसे स्थानीय करों के आधार पर ईंधन की कीमत विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होती है.
कीमतों में वृद्धि ने विशेष रूप से निम्न आय वर्ग जैसे घरेलू सहायिका, ड्राइवर, सुरक्षा गार्ड, दैनिक वेतन भोगी, सेल्समैन और वेटर को प्रभावित किया है, जो प्रति माह 10,000 से 15,000 रुपये तक कमाते हैं. उनकी कमाई का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ खाना पकाने में ही खर्च हो रहा है.
एसबीआई कर्मचारी और कोलकाता के गोलपार्क इलाके की निवासी नूपुर दासगुप्ता ने कहा, ‘‘इन दिनों हमारे लिए रसोई गैस सिलेंडर का खर्च उठाना काफी मुश्किल है. हर महीने घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ जाती है, जिससे हमारे घर के बजट को संतुलित करना और भी मुश्किल हो जाता है ... हम खाना पकाने के वैकल्पिक तरीकों की तलाश कर रहे हैं.’’
कोलकाता के दमदम में एक गृहिणी स्वप्ना मुखर्जी ने कहा कि वह अपने खर्चों को काबू में रखने के लिए रसोई गैस के साथ ही मिट्टी के तेल का इस्तेमाल करने के बारे में सोच रही थीं. हरियाणा के अंबाला की एक निजी स्कूल की शिक्षिका पारकी मेहरा ने कहा कि घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी ने उनके जैसे मध्यम वर्गीय परिवारों को प्रभावित किया है.
स्कूल जाने वाले दो बच्चों की मां का कहना है कि उनके परिवार ने घर का बजट संभालने के लिए दूसरे गैर-जरूरी खर्च में कटौती की है. पिछले एक साल में रसोई गैस की कीमतें आठ बार बढ़ी हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल और गैस की कीमतों में तेजी की आशंका से उछाल आया है.
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