एसकेएम ने निर्वाचन आयोग को खुला पत्र लिखकर चार जून को ‘स्वतंत्र, पारदर्शी’ मतगणना का आह्वान किया

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को भारत के निर्वाचन आयोग को एक खुला पत्र लिखकर ‘‘स्वतंत्र और पारदर्शी’’ मतगणना सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

Credit -ANI

नयी दिल्ली, 2 जून : संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को भारत के निर्वाचन आयोग को एक खुला पत्र लिखकर ‘‘स्वतंत्र और पारदर्शी’’ मतगणना सुनिश्चित करने का आग्रह किया. लोकसभा चुनाव के सात चरणों की मतगणना चार जून को होगी. अब रद्द हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर चुके एसकेएम ने खुले पत्र में कहा कि वह मतगणना प्रक्रिया में छेड़छाड़ को लेकर आशंकित है. एसकेएम ने कहा, ‘‘पूरे भारत के किसानों की ओर से, हम मौजूदा सरकार को शासन बरकरार रखने में मदद करने के लिए लोगों के फैसले को पलटने के वास्ते चार जून, 2024 की निर्धारित मतगणना प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ की किसी संभावना पर अपनी आशंका आपके ध्यान में लाना चाहते हैं.’’

उसने कहा, ‘‘पिछले चुनावों के विपरीत, भारत के किसानों ने भाजपा के चुनाव अभियान का विशेष रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और ऋण माफी के संबंध में एसकेएम के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने में घोर विश्वासघात के खिलाफ और इसकी कॉर्पोरेट नीतियों को उजागर करने के लिए सीधा विरोध किया था.’’ चालीस से अधिक भारतीय किसान संघों के छत्र निकाय एसकेएम ने कहा कि ‘‘व्यापक और शांतिपूर्ण’’ विरोध प्रदर्शनों ने किसानों, श्रमिकों और सभी गरीब वर्गों को अपनी आजीविका के मुद्दों को उठाने और लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता एवं संघवाद के संवैधानिक सिद्धांतों की रक्षा करने में मदद की. यह भी पढ़ें : भाजपा सांसद रामकृपाल यादव पर हमले के सिलसिले में एक व्यक्ति गिरफ्तार

उसने दावा किया कि ट्रेड यूनियन और अन्य वर्गों के सक्रिय समर्थन से 13 महीने तक चले किसानों के संघर्ष में 750 से अधिक किसानों की मौत हुई. एसकेएम ने कहा, ‘‘भाजपा ने किसानों को विदेशी आतंकवादियों और खालिस्तानियों द्वारा वित्त पोषित, देशद्रोही बताकर जहर उगला था. चुनाव के दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने प्रमुख अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ लगातार नफरत भरे भाषण देकर आदर्श आचार संहिता और भारत के संविधान का उल्लंघन किया.’’ उसने कहा, ‘‘उन्होंने सौहार्दपूर्ण सामाजिक जीवन को जानबूझकर नष्ट करने के उद्देश्य से अभद्र का इस्तेमाल किया. धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक सिद्धांत पर हमला किया गया.’’

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