देश की खबरें | प्रौद्योगिकी का उपहार है सेल्फी प्रणाली: केन्द्र ने अदालत से कहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. केन्द्र ने रक्षा नीतियों से जुड़ी अपनी पहलों को जनता तक पहुंचाने के लिए सार्वजनिक स्थानों में ‘‘सेल्फी प्वांइट’’ बनाने के अपने निर्णय का शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में बचाव किया। केन्द्र ने कहा कि ‘‘ सेल्फी प्रणाली प्रौद्योगिकी का उपहार है’’ जो सरकार की योजनाओं की जानकारी जनता तक बेहद किफायती तरीके से पहुंचाती है।
नयी दिल्ली,पांच जनवरी केन्द्र ने रक्षा नीतियों से जुड़ी अपनी पहलों को जनता तक पहुंचाने के लिए सार्वजनिक स्थानों में ‘‘सेल्फी प्वांइट’’ बनाने के अपने निर्णय का शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में बचाव किया। केन्द्र ने कहा कि ‘‘ सेल्फी प्रणाली प्रौद्योगिकी का उपहार है’’ जो सरकार की योजनाओं की जानकारी जनता तक बेहद किफायती तरीके से पहुंचाती है।
केन्द्र ने ‘सेल्फी प्वाइंट’ पहल के पीछे किसी राजनीतिक मकसद होने की बात को खारिज किया और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में किसी भी राजनीतिक दल या प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल नहीं है।
केन्द्र ने कहा कि ये केवल रक्षा क्षेत्र की उपलब्धियों को रेखांकित करते हैं जिनमें सशस्त्र बलों में महिलाओं को शामिल करना और उनकी भागीदारी और अग्निपथ योजना आदि शामिल हैं।
केंद्र ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष यह दलील दी। पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि पिछले नौ वर्षों में सरकार की उपलब्धियों को प्रदर्शित करके ‘‘राजनीतिक प्रचार’’ के लिए लोक सेवकों और रक्षा कर्मियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता ईएएस शर्मा और जगदीप एस छोकर ने आरोप लगाया कि सरकार अनेक ‘सेल्फी प्वांइट’ बना रही है और सैनिकों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए कार्यों का प्रचार प्रसार करें।
उन्होंने आरोप में कहा कि आगामी चुनावों में सत्तारूढ़ दल के लिए ‘प्रचार’ करने के वास्ते विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के लिए लोक सेवकों को विशेष अधिकारियों के रूप में तैनात किया जा रहा है जो सेवा नियमों और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील प्रणव सचदेवा ने कहा, ‘‘सेल्फी प्वाइंट की लागत छह लाख रुपये है और वे सभी रेलवे स्टेशनों पर इसे स्थापित कर रहे हैं।’’
अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल चेतन शर्मा ने पीठ को बताया कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि उसकी प्रमुख योजनाओं का लाभ लक्षित लाभार्थियों तक समयबद्ध तरीके से पहुंचे।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 जनवरी की तारीख तय की।
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