शिअद ने कृषि कानूनों के खिलाफ निकाला मार्च, सुखबीर,हरसिमरत तथा अन्य हिरासत में

केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के संसद से पारित होने का एक वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने ‘काला दिवस’ मनाया और पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में सैंकडों कार्यकर्ताओं ने यहां कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध मार्च निकाला.

शिरोमणि अकाली दल(Representative Images- ANI)

नयी दिल्ली,17 सितंबर : केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के संसद से पारित होने का एक वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने ‘काला दिवस’ मनाया और पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में सैंकडों कार्यकर्ताओं ने यहां कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध मार्च निकाला. दिल्ली पुलिस ने शिअद अध्यक्ष बादल, पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और पार्टी के कई अन्य नेताओं को हिरासत में लिया. विरोध मार्च गुरुद्वारा रकाबगंज से संसद भवन तक निकाला गया. शिअद अध्यक्ष ने ट्वीट किया,‘‘ आज का विरोध मार्च न केवल किसानों के असंतोष का प्रतीक है, बल्कि इसे एक ऐतिहासिक घटना के रूप में भी याद किया जाएगा जो अत्याचार की जड़ पर प्रहार करती है. किसानों को न्याय दिलाने के लिए नए विद्रोह की शुरुआत के तौर पर इसमें एकजुट हों.’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने एक ट्वीट में कहा कि विरोध मार्च में लोगों की भागीदारी जनता के गुस्से को दर्शाती है. उन्होंने कहा, ‘‘ किसान एक साल से दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, केंद्र सरकार प्रदर्शनों को खत्म कराने पर तुली हुई है. हमें राजग छोड़ने पर गर्व है. अकाली दल निरंकुशता का विरोध करना जारी रखेगा.’’ शिअद प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने उनके विरोध मार्च को रोकने का प्रयास किया. उन्होंने कहा,‘‘नई दिल्ली में यह एक अघोषित आपातकाल है.’’ यह भी पढ़ें : Chhattisgarh: बंजर भूमि पर बन रहा भारत का सबसे बड़ा ‘मैन मेड’ जंगल, 17 किमी क्षेत्र में लग चुके है 83 हजार पौधे, 3 साल में होगा भव्य नजारा

पुलिस उपायुक्त (नई दिल्ली) दीपक यादव ने कहा कि शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और पार्टी के 15 अन्य नेताओं को संसद मार्ग थाने में हिरासत में रखा गया है. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि नेताओं को संक्रमण संबंधी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए विरोध मार्च निकालने के लिए हिरासत में लिया गया था. बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. विरोध के कारण राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में यातायात बाधित हुआ.

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