देश की खबरें | प्रधानमंत्री की ‘प्रतिशोध की राजनीति’ की भारी कीमत चुकाए जाने के बाद चावल बिक्री की अनुमति दी गई: कांग्रेस

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नयी दिल्ली, दो जुलाई कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक की ‘अन्न भाग्य’ योजना को रोकने के लिए मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बिक्री बंद कर दी थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘प्रतिशोध की राजनीति’ की भारी कीमत चुकाए जाने के बाद सरकार जाग गई और राज्यों को चावल की बिक्री शुरू करने का फैसला किया।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘13 जून, 2023 को, मोदी सरकार ने मुक्त बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के तहत राज्य सरकारों को चावल बेचना बंद कर दिया। भारतीय खाद्य निगम के कर्नाटक को एक दिन पहले जारी किए गए आदेशों को उलट दिया। यह अतार्किक नीति कर्नाटक सरकार की उस अन्न भाग्य योजना को बाधित करने के एकमात्र इरादे से शुरू की गई थी, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) के तहत अनाज के हकदार प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपलब्ध चावल का कोटा (5 किलोग्राम से 10 किलोग्राम प्रति माह) दोगुना करती है।’’

रमेश ने कहा, ‘‘प्रतिशोध से प्रेरित इस फैसले’’ ने न केवल कर्नाटक के लोगों को अन्न भाग्य गारंटी के माध्यम से अतिरिक्त 5 किलोग्राम चावल से वंचित कर दिया, बल्कि भारत के खाद्य सब्सिडी बिल में हजारों करोड़ रुपये की वृद्धि भी की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार आखिरकार ‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री’ प्रतिशोध की राजनीति की भारी कीमत चुकाए जाने के बाद जाग गई और राज्यों को चावल की बिक्री फिर से शुरू करने का फैसला किया है। राज्य अब ई-नीलामी में भाग लिए बिना खुली बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से सीधे चावल खरीद सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ध्यान दें कि चावल अब 2,800 रुपये प्रति क्विंटल (परिवहन लागत को छोड़कर) बेचा जा रहा है। कर्नाटक इसे 3,140 रुपये प्रति क्विंटल (परिवहन लागत को छोड़कर) पर प्राप्त करने की उम्मीद कर रहा था। नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की सरकार ने तब चावल बेचने से इनकार कर दिया था और अब अतिरिक्त चावल बाजार में लाने के लिए बेताब है। यह उस नीति का परिणाम है जो कल्याण के बजाय प्रतिशोध से प्रेरित है।’’

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि अगर राज्यों को अपनी कल्याणकारी योजनाओं के लिए चावल की जरूरत है तो वे ई-नीलामी में भाग लिए बिना भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सीधे चावल खरीद सकते हैं।

पिछले साल केंद्र ने खराब मानसून के मद्देनजर कम उत्पादन की आशंकाओं के कारण राज्यों को चावल उपलब्ध नहीं कराया था। कर्नाटक ने पिछले साल अपनी कल्याणकारी योजना के लिए चावल की मांग की थी, लेकिन उसके अनुरोध खारिज कर दिया गया था।

जून, 2023 में केंद्र ने मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केंद्रीय पूल से राज्य सरकारों को चावल और गेहूं की बिक्री बंद कर दी थी।

हक

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