रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू, रेपो दर के यथावत रखने की उम्मीद
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक मंगलवार को शुरू हो गई.
नयी दिल्ली, छह फरवरी : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक मंगलवार को शुरू हो गई. खुदरा मुद्रास्फीति के उच्चस्तर पर बने रहने के बीच अल्पकालिक ऋण दरों पर यथास्थिति बने रहने की संभावना जताई जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक ने करीब एक साल से अल्पकालिक ऋण दर यानी रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा हुआ है. वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से बढ़ी महंगाई पर काबू पाने के लिए मानक ब्याज दर में आखिरी बार बढ़ोतरी फरवरी, 2023 में हुई थी जब इसे 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था.
खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई, 2023 में 7.44 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई थी लेकिन उसके बाद से इसमें गिरावट आई है. दिसंबर, 2023 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.69 प्रतिशत पर आ गई जो आरबीआई के संतोषजनक स्तर चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के भीतर ही है. आरबीआई गवर्नर नीतिगत ब्याज दर के संबंध में एमपीसी के स्तर पर लिए गए फैसले से बृहस्पतिवार सुबह को अवगत कराएंगे. एमपीसी ने मई, 2022 से लेकर फरवरी, 2023 तक रेपो दर में कुल मिलाकर 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी. लेकिन उसके बाद से यह लगातार स्थिर बनी हुई है. यह भी पढ़ें : नाबालिग के कथित बलात्कार के मामले में हॉकी खिलाड़ी वरूण कुमार के खिलाफ मामला दर्ज
इस समिति में तीन बाहरी सदस्य और आरबीआई के तीन अधिकारी शामिल हैं. पैनल में बाहरी सदस्य शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा हैं. गवर्नर दास के अलावा डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन भी इसके सदस्य हैं. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अपनी एक रिपोर्ट में पहले ही कह चुका है कि आरबीआई इस समीक्षा में अपना नीतिगत रुख बरकरार रख सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, नीतिगत दर में कटौती जून-अगस्त की अवधि में ही होने की संभावना अधिक है.