मुंबई, सात जून भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। निजी उपभोग में सुधार तथा ग्रामीण क्षेत्र की मांग मजबूत होने से केंद्रीय बैंक ने वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाया है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को यहां द्विमासिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी अनुमान के अनुसार 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।
उन्होंने कहा, ‘‘2024-25 में अभी तक घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत हैं। घरेलू मांग बढ़ने से विनिर्माण गतिविधियों में तेजी आई है।’’
दास ने कहा कि विभिन्न आर्थिक संकेतकों से पता चलता है कि सेवा क्षेत्र की रफ्तार भी कायम है।
गवर्नर ने कहा कि कुल मांग का मुख्य आधार निजी खपत है और शहरी क्षेत्रों में स्थिर विवेकाधीन खर्च के साथ इसमें सुधार हो रहा है।
कृषि क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार से ग्रामीण मांग में पुनरुद्धार देखा जा रहा है और गैर-खाद्य कर्ज में विस्तार से भी गतिविधियों में तेजी जारी है।
उन्होंने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून के पूर्वानुमान से खरीफ उत्पादन को बढ़ावा मिलने और जलाशयों का स्तर बढ़ने की उम्मीद है।
गवर्नर ने कहा, ‘‘इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रहेगी। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।’’
उन्होंने कहा कि बैंकों और कंपनियों के मजबूत बही-खाते, पूंजीगत व्यय पर सरकार के निरंतर जोर, उच्च क्षमता उपयोग और कारोबार को लेकर भरोसा निवेश गतिविधियों के लिए अच्छा संकेत है।
गवर्नर ने कहा, वैश्विक व्यापार की संभावनाओं में सुधार से बाहरी मांग को बढ़ावा मिलना चाहिए।
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