मुंबई, 17 अक्टूबर भारत में सेवानिवृत्ति व्यवस्था में पिछले साल के मुकाबले कुछ सुधार जरूर हुआ है। हालांकि, इसके बावजूद इस मामले में किये गये कुल 47 देशों में सेवानिवृत्ति आय व्यवस्था के विश्लेषण में दक्षिण एशियाई देश 45वें स्थान पर है।
पंद्रहवें सालाना मर्सर सीएफए इंस्टिट्यूट ग्लोबल पेंशन इंडेक्स (एमसीजीपीआई) के अनुसार, भारत का कुल सूचकांक मूल्य 2022 में 44.5 से बढ़कर इस साल 45.9 हो गया। इस आधार पर विश्लेषण में शामिल 47 सेवानिवृत्ति आय प्रणालियों में भारत 45वें स्थान पर है।
मुख्य रूप से पर्याप्त सेवानिवृत्ति आय और टिकाऊ व्यवस्था से संबद्ध उप-सूचकांकों में सुधार से भारत की रैंकिंग सुधरी है।
नीदरलैंड का समग्र सूचकांक मूल्य (85.0) सबसे अधिक है। इसके बाद क्रमश: आइसलैंड (83.5) और डेनमार्क (81.3) का स्थान है। वहीं अर्जेंटीना का सूचकांक मूल्य सबसे कम (42.3) रहा।
इस वर्ष, वैश्विक पेंशन सूचकांक के तहत दुनियाभर में 47 सेवानिवृत्ति आय प्रणाली का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। इन देशों में दुनिया की 64 प्रतिशत आबादी रहती है।
वैश्विक पेंशन सूचकांक में पर्याप्त सेवानिवृत्ति आय, उसका टिकाऊ बने रहना तथा ईमानदार व्यवस्था जैसे उप-सूचकांकों के भारांश औसत का उपयोग किया जाता है।
वर्ष 2023 के वैश्विक पेंशन सूचकांक में तीन नई सेवानिवृत्ति आय प्रणालियों को शामिल किया गया है। ये देश हैं... बोत्सवाना, क्रोएशिया और कजाकिस्तान।
रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि घटती जन्म दर ने लंबी अवधि में कई अर्थव्यवस्थाओं और पेंशन प्रणालियों पर दबाव डाला है। इससे इटली और स्पेन जैसे देशों में इस मामले में टिकाऊ व्यवस्था को लेकर अंक पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
हालांकि, चीन, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और जापान सहित कई एशियाई देशों ने इस मामले में पिछले पांच साल में अपने अंक में सुधार को लेकर सुधारात्मक कदम उठाये हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की सेवानिवृत्ति आय प्रणाली में कर्मचारी पेंशन योजना, निर्धारित अंशदान आधारित कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफओ) और नियोक्ता-प्रबंधित पेंशन योजनाएं शामिल हैं, जो योगदान आधारित है।
इसमें कहा गया है कि सरकारी योजनाएं सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में शुरू की गई हैं। इसका उद्देश्य असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को लाभ पहुंचाना है।
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