देश की खबरें | कोरोना का नया स्वरूप: स्कूलों को बंद रखने के बजाए सुविचारित योजना जरूरी: विशेषज्ञों की राय
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नयी दिल्ली, 29 नवंबर कोरोना वायरस के नए स्वरूप के कारण चिंताओं और अनिश्चितता के बीच स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने फिर से लंबे समय तक बंद रखने के बजाय स्कूलों के लिए सुविचारित योजना बनाने का आह्वान किया है।
दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए स्वरूप बी.1.1.529 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमीक्रोन नाम दिया है और इसे ‘चिंताजनक स्वरूप’ के रूप में वर्णित किया है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पिछले साल मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन से पहले देश भर के स्कूल बंद कर दिए गए थे। कई राज्यों ने लंबे समय तक बंद रहने के बाद विभिन्न कक्षाओं के लिए आंशिक रूप से स्कूल फिर से खोल दिए हैं।
पैसिफिक वर्ल्ड स्कूल की प्रधानाध्यापक सीमा कौर ने कहा कि जैसे ही स्कूलों में कक्षाओं की शुरुआत होने लगी नए वायरस से उत्पन्न होने वाले खतरे ने अनिश्चितता और चिंता पैदा कर दी है। कौर ने कहा, ‘‘शिक्षा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। 2019 के बाद से, हमने देखा है कि कोविड का खतरा बढ़ता गया और यह आम तौर पर लहरों में आता है। लेकिन, असली चुनौती स्थिति को समझना और सभी की भलाई वाला फैसला करना है।’’
उन्होंने कहा कि भारत में मामलों की वृद्धि दर की तुलना में संक्रमण से ठीक होने की दर बहुत अधिक है। इसलिए, परिदृश्य के संबंध में एक उपयुक्त निर्णय लेना ज्यादा बेहतर होगा।
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की प्रोफेसर प्रज्ञा शर्मा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका से आई खबरों से संकेत मिलता है कि ओमीक्रोन एक हल्के संक्रमण का कारण बनता है और दिल्ली में 97 प्रतिशत की उच्च ‘सीरो पॉजिटिविटी’ है।
शर्मा ने कहा कि नवीनतम सीरो सर्वेक्षण के दौरान बच्चों में भी 80 प्रतिशत से अधिक सीरो पॉजिटिविटी मिली। इसलिए, नए स्वरूप के कारण दिल्ली में बहुत तेज लहर नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें प्रत्यक्ष कक्षाएं फिर से शुरू करनी चाहिए लेकिन बहुत सावधानी के साथ और कोविड-उपयुक्त व्यवहार का सख्ती से पालन करना चाहिए।’’
विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर अरुण शर्मा ने कहा कि ओमीक्रोन की संक्रामकता, प्रसार की स्थिति और मौजूदा प्रतिरक्षा के संबंध में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए अभी हम जो कुछ भी कहेंगे वह अनुमान होगा, लेकिन सरकार जीनोमिक अनुक्रमण के लिए अधिक नमूने एकत्र करना, हवाई अड्डे पर जांच समेत सभी कदम उठा रही है।’’
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ करण मदान ने कहा कि स्कूलों में प्रत्यक्ष कक्षाएं सावधानीपूर्वक निगरानी के तहत फिर से शुरू की जा सकती हैं। एमआरजी स्कूल, रोहिणी में प्रधानाध्यापक अंशु मित्तल का मानना है कि स्कूल को फिर से खोलना अब महत्वपूर्ण है क्योंकि छात्र पिछले 18 महीनों से सीखने और सामाजिक जीवन से वंचित हैं, जिसने निश्चित रूप से उनके लिए पठन-पाठन में एक बड़ा अंतर पैदा किया है।
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