Assam-Mizoram Border Dispute: असम के मुख्यमंत्री के खिलाफ दायर प्राथमिकी वापस लेने के लिए तैयार हैं: मिजोरम सरकार
छत्तीसगढ़ में रायपुर की एक अदालत ने दहेज के कारण हत्या के मामले में दोषी पाए गए 28 वर्षीय एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विक्रम प्रताप चंद्र ने शनिवार को मुजगहन थाना क्षेत्र के छछानपैरी ग्राम निवासी घनश्याम उर्फ मोटू नारंग को दोषी करार दिया.
आइजोल, 1 अगस्त : मिजोरम के मुख्य सचिव लालनुनमाविया चुआंगो ने रविवार को कहा कि मिजोरम सरकार असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को वापस लेने के लिए तैयार है. मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने प्राथमिकी में सरमा के नाम को शामिल करने की मंजूरी नहीं दी है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे मुख्यमंत्री ने प्राथमिकी में असम के मुख्यमंत्री के नाम का जिक्र किए जाने को मंजूरी नहीं दी है. उन्होंने मुझे सुझाव दिया कि हमें इस पर गौर करना चाहिए.’’ चुआंगो ने कहा कि वे संबंधित पुलिस अधिकारियों से बातचीत करेंगे और अगर उनके खिलाफ आरोप लगाने के वैध आधार नहीं हैं तो असम के मुख्यमंत्री का नाम हटाया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्राथमिकी दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों से बातचीत करूंगा और अगर कोई कानूनी आधार नहीं है तो हम असम के मुख्यमंत्री का नाम हटाएंगे.’’ साथ ही उन्होंने कहा कि वह इस बात से अनभिज्ञ हैं कि सरमा के खिलाफ आपराधिक मामला कब दर्ज किया गया. मुख्य सचिव ने हालांकि यह नहीं बताया कि असम के छह अधिकारियों और 200 अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे अथवा नहीं. यह भी पढ़ें : Assam-Mizoram Border Dispute: असम का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दिल्ली का दौरा करेगा
गौरतलब है कि मिजोरम और असम के बीच संघर्ष के बाद मिजोरम पुलिस ने सरमा एवं छह अधिकारियों के खिलाफ हत्या के प्रयास एवं आपराधिक षड्यंत्र सहित विभिन्न आरोपों में वायरेंगटे थाने में 26 जुलाई की रात प्राथमिकी दर्ज की. दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमा विवाद को लेकर हुए संघर्ष में छह पुलिसकर्मियों सहित सात लोग मारे गए थे.