जरुरी जानकारी | आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत किया
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मुंबई, छह दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया। साथ ही ऊंची खाद्य कीमतों के बीच मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर अवधि में सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर रही, जबकि आरबीआई ने इसके सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने यहां द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि दूसरी तिमाही की वृद्धि दर अनुमान से काफी कम है।
हालांकि दास ने विश्वास जताया कि अब तक उपलब्ध प्रमुख आंकड़ों (जीएसटी संग्रह, पीएमआई, ई-वे बिल आदि) से घरेलू आर्थिक गतिविधि में सुस्ती के दूसरी तिमाही में ही खत्म हो जाने के संकेत मिलते हैं। उसके बाद से मजबूत त्योहारी मांग और ग्रामीण गतिविधियों में तेजी से स्थिति बेहतर हुई है।
उन्होंने कहा कि खरीफ फसलों के उत्पादन, जलाशयों के उच्च स्तर और रबी फसलों की बुवाई बेहतर रहने से कृषि विकास को समर्थन मिला है।
इसके साथ ही आरबीआई गवर्नर ने औद्योगिक गतिविधियों के सामान्य होने और पिछली तिमाही के निचले स्तर से उबरने की उम्मीद भी जताई।
दास ने चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद कहा, "मानसून सत्र खत्म होने और सरकारी पूंजीगत व्यय में अपेक्षित तेजी से सीमेंट और लोहा एवं इस्पात क्षेत्रों को कुछ प्रोत्साहन मिल सकता है। मानसून से संबंधित व्यवधानों के बाद खनन और बिजली क्षेत्र के भी सामान्य होने की उम्मीद है।"
उन्होंने कहा कि मांग के मोर्चे पर ग्रामीण मांग में तेजी आ रही है जबकि शहरी मांग में उच्च तुलनात्मक आधार पर कुछ नरमी दिख रही है।
दास ने कहा, "सरकारी खपत में सुधार है और निवेश गतिविधि में भी सुधार की उम्मीद है।"
उन्होंने कहा कि बाहरी मोर्चे पर अक्टूबर, 2024 में उत्पाद निर्यात में 17.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि सेवा निर्यात भी 22.3 प्रतिशत की उत्साहजनक वृद्धि को बनाए हुए है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
इसके साथ ही दास ने कहा, "अगले वित्त वर्ष (2025-26) की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत अनुमानित है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।"
आरबीआई गवर्नर ने मुद्रास्फीति के मोर्चे पर कहा कि सितंबर और अक्टूबर में खाद्य कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण इसमें तीव्र वृद्धि हुई।
उन्होंने कहा, "मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति हालांकि कम स्तर पर थी लेकिन यह अक्टूबर में तेज रही। ईंधन समूह अक्टूबर में लगातार 14वें महीने मुद्रास्फीति में कमी रही। निकट भविष्य में कुछ नरमी के बावजूद खाद्य कीमतों पर दबाव के कारण तीसरी तिमाही में मुख्य मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने का अनुमान है।"
उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए एक अच्छा रबी फसल सत्र महत्वपूर्ण होगा।
दास ने कहा कि आयात शुल्क में बढ़ोतरी और वैश्विक कीमतों में वृद्धि के बाद घरेलू खाद्य तेल की कीमतों के उभरते हुए परिदृश्य पर करीबी नजर रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों ने 2024-25 की चौथी तिमाही में कच्चे माल की लागत और बिक्री कीमतों में मजबूती का संकेत दिया है।
दास ने कहा, "इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2024-25 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत रह सकती है। तीसरी तिमाही में इसके 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।"
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में चार प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
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