रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण केवल निगरानी उद्देश्य के लिए : उच्च न्यायालय

कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए लोगों के खून में एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल होता है ।

जियो

नागपुर, 26 मई बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने मंगलवार को कहा कि ‘रैपिड एंटीबॉडी’ जांच केवल निगरानी मकसद के लिए है और समूचे महाराष्ट्र में निषिद्ध क्षेत्रों में ऐसी जांच कराने पर अंतिम फैसला राज्य सरकार को करना है ।

कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए लोगों के खून में एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल होता है ।

वकील तुषार मांडेलकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवि देशपांडे और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने राज्य सरकार को उचित कदम उठाने को कहा ।

याचिका में कोविड-19 के निषिद्ध क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए ‘रैपिड एंटीबॉडी’ जांच करवाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था ।

सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी ने अदालत को बताया कि केवल निगरानी के उद्देश्य से ये जांच की जाती है और प्रयोगशाला स्तर पर यह जांच नहीं होती ।

आगे उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार कोविड-19 की जांच के लिए ‘एलिसा परीक्षण’ करवाने पर विचार कर रही है ।

एलिसा परीक्षण के तहत खून में एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए एंजाइम आधारित आकलन किए जाते हैं ।

अदालत ने कहा, ‘‘राज्य और केंद्र सरकार, दोनों की सर्वसम्मत राय है कि रैपिड एंटीबॉडी जांच प्रयोगशाला स्तर की जांच नहीं है।’’

अदालत ने कहा कि वह याचिका पर उचित कदम उठाने का जिम्मा राज्य सरकार पर छोड़ती है ।

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