नयी दिल्ली, 16 मार्च कांग्रेस ने ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को लेकर बुधवार को उन पर निशाना साधा और कहा कि जब कश्मीरी पंडितों का कश्मीर घाटी से पलायन हो रहा था तो सिर्फ उस समय के विपक्षी नेता राजीव गांधी ने आवाज उठाई थी और संसद का घेराव किया था, लेकिन तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को समर्थन दे रही भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी और नरेंद्र मोदी ‘रथयात्रा’ निकालने में व्यस्त थे।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को यह बताना चाहिए कि वह कश्मीरी पंडितों का कब तक पुनर्वास करेंगे?
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला और कई अन्य महान व्यक्तियों के प्रेरणास्रोत महात्मा गांधी जी थे। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण कि इस देश के प्रधानमंत्री को फिल्म देखकर महात्मा गांधी के बारे में ज्ञान हुआ। अब लगता है कि उन्हें फिल्म देखकर ही कश्मीरी पंडित भाई-बहनों के बारे में ज्ञान हुआ।’’
सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘‘जब कश्मीरी पंडितों पर जुल्म हो रहा था तो उस समय सरकार का समर्थन कर रही भाजपा के नेता आडवाणी बंटवारे वाली रथयात्रा निकालने में व्यस्त थे और मोदी जी इस यात्रा इवेंट मैनेजर थे।’’
उनके मुताबिक, उस वक्त सिर्फ राजीव गांधी ने कश्मीरी पंडितों की आवाज उठाई थी जो खुद एक कश्मीरी पंडित परिवार से ही नाता रखते थे।
सुरजेवाला ने कहा, ‘‘राजीव गांधी जी ने कश्मीरी पंडितों के लिए संसद का घेराव किया था।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘मोदी जी बताएं कि जब 1990 में कश्मीरी पंडित आतंक और बर्बरता के साये में पलायन को मजबूर हुए तब भाजपा के 85 सांसद, जिनके समर्थन से केंद्र की वी.पी.सिंह सरकार चल रही थी, क्या कर रहे थे? मुख्यमंत्री को हटाकर उनके बिठाए राज्यपाल ने सुरक्षा देने की बजाय पंडितों को पलायन के लिए क्यों उकसाया?’’
सुरजेवाला ने यह भी कहा, ‘‘ संप्रग सरकार के 10 साल में 4241 आतंकी मारे गए, प्रधानमंत्री पैकेज में कश्मीरी पंडितों को 3000 नौकरियां दी गईं, 5911 ट्रांजिट आवास बनाये गए। मोदी सरकार में आठ साल में 1419 आतंकी मारे गए, केवल 520 नौकरी मिली और 1000 ट्रांज़िट आवास बनाए गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी बताइए कि कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास कब होगा? समयसीमा बताएं। सरकार को बताना चाहिए कि कितने लोगों को वापस कश्मीर में बसाया गया।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को ‘‘कश्मीर फाइल्स’’ की सराहना की और अभिव्यक्ति की आजादी के झंडादरबार होने का दावा करने वालों को ‘‘इसे बदनाम करने के बाबत चलाए जा रहे अभियान’’ के लिए आड़े हाथों लिया।
फिल्म की पटकथा को एक तरह से अनुमोदन करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘उनको हैरानी हो रही है कि इस सत्य को इतने सालों तक दबा कर रखा गया जो अब तथ्यों के आधार पर बाहर लाया जा रहा है।’’
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