देश की खबरें | राजस्थान की अदालत ने अजमेर दरगाह को शिव मंदिर घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

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जयपुर, 25 सितंबर अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव मंदिर घोषित करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि उस पर उसका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अपने वकील के माध्यम से दीवानी न्यायाधीश की अदालत में याचिका दायर की थी।

गुप्ता ने अपने वकील के माध्यम से दावा किया था कि यह दरगाह मंदिर के खंडहरों पर बनाई गई है और इसलिए इसे भगवान श्री संकटमोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाना चाहिए।

याचिका में यह भी मांग की गई है कि जिस अधिनियम के तहत दरगाह संचालित होती है उसे अमान्य घोषित किया जाए, हिंदुओं को पूजा का अधिकार दिया जाए और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को उस स्थान का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया जाए।

गुप्ता के वकील शशिरंजन ने कहा कि वादी ने दो साल तक शोध किया है और उनके निष्कर्ष हैं कि वहां एक शिव मंदिर था जिसे “मुस्लिम आक्रमणकारियों” ने नष्ट कर दिया था और फिर एक दरगाह बनाई गई थी।

उन्होंने बताया कि दीवानी न्यायाधीश की अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई करना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को की जाएगी।

उन्होंने कहा, "मैं अगली सुनवाई से पहले मुकदमे को स्थानांतरित करने के लिए जिला अदालत में आवेदन दायर करूंगा।”

दूसरी ओर, अजमेर दरगाह के खादिमों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने मुकदमे की कड़ी निंदा की और इसे सांप्रदायिक आधार पर समाज को विभाजित करने का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।

चिश्ती ने अजमेर में एक प्रेस वार्ता की और दरगाह के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, "अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की पवित्र दरगाह दुनिया भर के मुसलमानों और हिंदुओं, खासकर भारतीय उपमहाद्वीप में श्रद्धेय है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि दक्षिण पंथी ताकतें सूफी दरगाह पर नजर डालकर मुसलमानों को अलग-थलग करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का लक्ष्य बना रही हैं।"

चिश्ती ने अदालत में दायर याचिका को मुसलमानों के खिलाफ काम करने वाले एक बड़े ‘इकोसिस्टम’ का हिस्सा बताया।

उन्होंने कहा, "पिछले एक दशक से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं। भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या और घरों को ध्वस्त करने जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी ने ऐसी ताकतों को बढ़ावा दिया है।"

चिश्ती ने कहा, "मैं महात्मा गांधी और बाबा साहेब आंबेडकर के मूल्यों में विश्वास रखने वाले हमारे देश के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे ऐसी विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ खड़े हों। हमें अपने महान राष्ट्र को इन विभाजनकारी तत्वों से बचाना चाहिए।"

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