पर्यटन सर्किट ट्रेन के लिए कोचो को निजी कंपनियों को पट्टे पर देने व बेचने की नीति बना रहा रेलवे
निजी कंपनियां जल्द ही थीम आधारित सांस्कृतिक, धार्मिक और अन्य पर्यटन सर्किट ट्रेनें चलाने के लिए रेलवे के कोच पट्टे पर ले सकेंगी और खरीद सकेंगी. इस बाबत भारतीय रेलवे एक नीति बना रहा है. रेलवे ने शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि नीति निर्माण और नियम व शर्तों के लिए रेल मंत्रालय द्वारा कार्यकारी निदेशक स्तर की समिति गठित की गई है.
नयी दिल्ली, 11 सितंबर : निजी कंपनियां जल्द ही थीम आधारित सांस्कृतिक, धार्मिक और अन्य पर्यटन सर्किट ट्रेनें चलाने के लिए रेलवे के कोच पट्टे पर ले सकेंगी और खरीद सकेंगी. इस बाबत भारतीय रेलवे एक नीति बना रहा है. रेलवे ने शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि नीति निर्माण और नियम व शर्तों के लिए रेल मंत्रालय द्वारा कार्यकारी निदेशक स्तर की समिति गठित की गई है. विज्ञप्ति के मुताबिक, भारतीय रेलवे आम लोगों में रेल आधारित पर्यटन का विस्तार करने की योजना बना रहा है. इसके लिए कोचों को इच्छुक कंपनियों को पट्टे पर दिया जाएगा ताकि वे उन्हें थीम आधारित सांस्कृतिक, धार्मिक और अन्य पर्यटक सर्किट ट्रेन के रूप में चलाएं. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसका उद्देश्य पर्यटन क्षेत्र की क्षमता का उपयोग करना है और विपणन, आतिथ्य क्षेत्र, ग्राहक के साथ संपर्क, पर्यटन सर्किटों का विकास/ पहचान में विशेषज्ञता आदि जैसी पर्यटन गतिविधियों में पर्यटन क्षेत्र के पेशेवरों की क्षमता का फायदा उठाना है.
सूत्रों ने बताया कि योजना यह है कि इच्छुक कंपनी को कम से कम 16 कोचो वाली ट्रेन खरीदनी होगी या पट्टे पर लेनी होगी.
यह ऐसे समय में हो रहा है जब रेलवे "निजी ट्रेनों" को चलाने के लिए निजी कंपनियों को लाने की कोशिश में है लेकिन इसमें कॉरपोरेट क्षेत्र ने बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है. विज्ञप्ति के मुताबिक, प्रस्तावित मॉडल में निजी कंपनियों को कोचों में मामूली सुधार की अनुमति होगी और कोच को न्यूनतम पांच वर्षों के लिए पट्टे पर लिया जा सकता है और यह कोचों की कोडल लाइफ (कोच के जीवन की अवधि) तक बढ़ाई जा सकती है. यह भी पढ़ें : UP Assembly Elections 2022: कांग्रेस को 100 सीटें जीतने का भरोसा, कहा राजनीति में भी चमत्कार होते हैं
उसमें बताया गया है कि इच्छुक कंपनी बिजनेस मॉडल (मार्ग, यात्रा कार्यक्रम, शुल्क आदि) का निर्णय करेंगी. विज्ञप्ति के मुताबिक, भारतीय रेल ढुलाई शुल्क, कोच को खड़ा करने के लिए मामूली शुल्क तथा पट्टा शुल्क लगाएगी (एकमुश्त खरीद पर कोई पट्टा शुल्क नहीं होगा). उसमें कहा गया है कि रेलगाड़ी के भीतर तीसरी कंपनी के विज्ञापनों की अनुमति होगी तथा रेलगाड़ी की ब्रांडिंग की भी अनुमति होगी.