नयी दिल्ली, पांच अगस्त राज्यसभा में बृहस्पतिवार को भी पेगासस जासूसी विवाद तथा तीन कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया जिसकी वजह से उच्च सदन की बैठक बृहस्पतिवार को चार बार के स्थगन के बाद अपराह्न चार बज कर दस मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। हंगामे के बीच सदन में तीन विधेयकों को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया।
पूर्वाह्न 11 बजे बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। दस्तावेज संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने पटल पर रखे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने राज्यसभा में मंत्रियों द्वारा आधिकारिक दस्तावेज सदन के पटल पर नहीं रखे जाने पर आपत्ति जतायी।
उपसभापति हरिवंश ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य आनंद शर्मा ने यह मामला बुधवार को भी उठाया था और सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा था कि संसदीय कार्य मंत्री को कोविड स्थिति के कारण अन्य मंत्रियों के बदले दस्तावेज पेश करने की अनुमति दी गई है।
इसके बाद हरिवंश ने तृणमूल कांग्रेस की एक सदस्य के, एक दिन पहले के आचरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसकी निंदा की। उपसभापति ने कहा कि अशोभनीय व्यवहार के कारण तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को एक दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि कल जब सदन की बैठक दिन भर के लिए स्थगित हो गयी तो निलंबित सदस्यों में से एक ने सदन में प्रवेश करने की कोशिश की। इस क्रम में एक द्वार का शीशा टूट गया और एक महिला सुरक्षा अधिकारी को चोट भी आयी। उस अधिकारी ने इसकी शिकायत दर्ज करायी है और सभापति एम वेंकैया नायडू इस पर विचार कर रहे हैं।
हरिवंश ने बुधवार की घटना को अत्यंत अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उसकी निंदा की। तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि जो आरोप लगाया गया है वह सही नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी के सदस्यों को दिन भर के लिए सदन से निलंबित किया गया था और बैठक जब पूरे दिन के लिए स्थगित की गई तब सदस्य सदन में छूट गए अपने बैग को लेने के लिए अंदर आना चाह रही थीं। इसी प्रक्रिया में द्वार में लगा शीशा टूटा । उन्होंने कहा ‘‘जबरदस्ती अंदर आने की कोशिश करने का आरोप सही नहीं है। सदस्य अपना बैग लेने के लिए अंदर आना चाह रही थीं लेकिन दरवाजा बंद कर उन्हें रोकने का प्रयास किया गया। ’’
इसी दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्य हंगामा करने लगे।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सदस्य को अंदर आने से रोकने के लिए दरवाजा बंद नहीं किया गया था बल्कि नियमित प्रक्रिया के तहत, सैनिटाइजेशन के लिए दरवाजा बंद किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि सदस्य को अंदर आने से रोकने के लिए दरवाजा बंद करने का आरोप सही नहीं है।’’
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिवंगत भाजपा नेता और उच्च सदन के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली के उस बयान की ओर सदन को ध्यान दिलवाया कि ‘‘बाधा डालना लोकतंत्र का एक अंग होता है।’’ उन्होंने कहा कि कल की घटना नयी नहीं है। उन्होंने कहा ‘‘हम अपनी बात रखने के लिए जो कुछ भी करते हैं वह लोकतांत्रिक तरीके से करते हैं।’’
खड़गे की इस बात पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई। सदन में व्यवस्था बनते न देख हरिवंश ने 11 बज कर 15 मिनट पर बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि नायडू ने सदन में तख्तियां प्रदर्शित करने पर कल आपत्ति जतायी थी और आसन की अवज्ञा कर हंगामा करने वाले छह सदस्यों को नियम 255 के तहत दिन भर के लिए निलंबित कर दिया था।
उच्च सदन की बैठक 15 मिनट बाद पुन: शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य एक बार फिर आसन के समक्ष आ कर हंगामा करने लगे। पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की। लेकिन हंगामा थमते न देख उन्होंने बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
दो बार के स्थगन के बाद बारह बजे बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा। विपक्ष के नेता खड़गे ने कहा कि कुछ समय पहले जब सदन की कार्यवाही स्थगित की गयी, उस समय वह अपनी बात रख रहे थे लेकिन उनकी बात पूरी भी नहीं हुयी थी।
इस पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सदन में हंगामा आप देख रहे हैं और इसी वजह से कार्यवाही स्थगित की गयी थी।
खड़गे ने कहा कि हंगामा में विधेयक पारित हो सकता है लेकिन उनकी बात पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने कल की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि वह उस समय पास ही थे और निलंबित सदस्य सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित किए जाने के बाद अपने सामान ले जाने के लिए अंदर आना चाह रहे थे।
राज्यसभा में भाजपा के उप नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि प्रदर्शन पर किसी को आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि आपत्ति हिंसा, तोड़फोड़ और हाथपाई को लेकर है।
इसके बाद उपसभापति ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया। इस दौरान मंत्रियों ने कुछ पूरक सवालों के जवाब भी दिए। हालांकि उनकी बात ठीक से सुनी नहीं जा सकी।
उपसभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने की अपील की लेकिन उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद सदन की कार्यवाही 12 बजकर करीब 20 मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।
दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब उच्च सदन की बैठक पुन: आरंभ हुई तब विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही तीन विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई। पहले संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2021 को सदन में ध्वनिमत से पारित किया गया।
इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग विधेयक, 2021 तथा फिर अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक 2021 को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई। ये दोनों विधेयक लोकसभा में पारित हो चुके हैं।
जब अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक पर चर्चा शुरु हुई तब हंगामे के बीच इस पर अपनी बात रख रहे सदस्यों ने कहा कि यह विधेयक अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए। कई सदस्यों ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग भी की।
विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जिस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग विपक्ष 14 दिन से कर रहा है, उस पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है और इस विधेयक पर चर्चा कराई जा रही है जो आज की कार्यसूची में शामिल नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सदन में जारी गतिरोध का फायदा उठाते हुए यह विधेयक जल्दबाजी में पारित कराना चाहती है जबकि इसे प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए।
खड़गे के इतना कहते ही सदन में हंगामा तेज हो गया और पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने सदन की कार्यवाही तीन बजकर करीब 10 मिनट पर आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। तीन बज कर 40 मिनट पर बैठक पुन:शुरु हुई तब अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक 2021 को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई। इस विधेयक के पारित होने के बाद उप सभापति हरिवंश ने चार बज कर करीब दस मिनट पर बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले उच्च सदन की बैठक हंगामे के कारण ही दो बार स्थगित की गई थी।
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