जरुरी जानकारी | जीएसटी लागू करने में गरीब समर्थक रुख अपनाया, राजस्व अब पहले के स्तर पर: सीतारमण
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नयी दिल्ली, छह मई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि सरकार ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करते समय ‘गरीब-समर्थक रुख’ अपनाया और कर की कम दरों के बावजूद सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में राजस्व जीएसटी-पूर्व स्तर तक पहुंच गया है।
सीतारमण ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि जीएसटी में शामिल किये गये करों से वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक संयुक्त रूप से राज्यों का राजस्व 37.5 लाख करोड़ रुपये होता। जीएसटी के साथ, राज्यों को वास्तविक रूप से 46.56 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी दर निर्धारित राजस्व तटस्थ दर से कम होने और कोविड-19 के कारण राजस्व प्रभावित होने बावजूद, जीएसटी संग्रह (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में) शुद्ध और सकल दोनों मामलों में पहले के स्तर पर पहुंच गया है।
सीतारमण ने कहा, ‘‘यह बताता है कि केंद्र और राज्य मिलकर बेहतर कर प्रशासन के माध्यम से हमारे करदाताओं पर कम बोझ के साथ समान राजस्व एकत्र करने में सक्षम हैं।’’
जीएसटी एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया। इसमें 17 करों और 13 उपकरों को समाहित किया गया। इससे कर व्यवस्था सरल हुई। पंजीकरण के लिए कारोबार सीमा वस्तुओं के लिए 40 लाख रुपये और सेवाओं के लिए 20 लाख रुपये (वैट के तहत औसतन 5 लाख रुपये से) तक बढ़ गई। राज्यों में 495 अलग-अलग फॉर्म (चालान, फॉर्म, घोषणाएं आदि) भरने होते थे। जीएसटी के कारण यह घटकर अब केवल 12 रह गया है।
सीतारमण ने ‘एक्स’ पर जीएसटी के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने जीएसटी की उत्पत्ति और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सुव्यवस्थित करने और सहकारी तथा राजकोषीय संघवाद को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने यह भी लिखा कि कैसे जीएसटी ने गरीब-समर्थक रुख के माध्यम से लोगों को फायदा पहुंचाया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी से कर राजस्व में उछाल 0.72 (जीएसटी से पहले) से बढ़कर 1.22 (2018-23) हो गया है। उन्होंने कहा कि क्षतिपूर्ति समाप्त होने के बावजूद, राज्य का राजस्व में उछाल 1.15 प्रतिशत पर बना हुआ है।
उन्होंने लिखा है, ‘‘प्रभावी भारित औसत जीएसटी दर 2017 के बाद से लगातार कम हुई है। यह गरीब समर्थक रुख को बताता है। राजस्व तटस्थ दर के लिए 15.3 प्रतिशत का सुझाव दिया गया था, लेकिन 2017 में यह 14.4 प्रतिशत से कम थी और यह 2019 में घटकर 11.6 प्रतिशत हो गयी है।’’
सीतारमण ने कहा कि घरेलू लेन-देन बढ़ने से अप्रैल में जीएसटी राजस्व 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
उन्होंने सोमवार को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संजय कुमार मिश्रा को जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) के पहले अध्यक्ष के रूप में पद की शपथ दिलाई।
सीतारमण ने कहा कि जीएसटी के तहत कई आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी-पूर्व दरों की तुलना में कर कम दर से कर लगाया गया है। बालों के तेल और साबुन जैसी वस्तुओं पर कर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया।
इसी तरह, बिजली उपकरणों पर 12 प्रतिशत कर लगाया जा रहा है जबकि पूर्व में यह 31.5 प्रतिशत था। सिनेमा के टिकटों पर भी कर की दर कम हुई है।
उन्होंने कहा कि 2017 से कर दर को और तर्कसंगत बनाया गया है।
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