तैयार घरों को जल्द बेचने, कर्ज समय से चुकाने को प्राथमिकता दें डेवलपर: एसबीआई चेयरमैन

उन्होंने रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नारेडको के एक कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंस से संबोधित करते हुए कहा कि यदि रियल एस्टेट कंपनियों को बाजार में बने रहना है और सामान्य कारोबार को यथा संभव शीघ्र पटरी पर लौटना है तो उन्हें कुछ चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्हें तैयार घरों को जल्दी बेचने , बैंक किस्तों के भुगतान में चूक से बचने तथा रियल एस्टेट क्षेत्र के बारे में आम धारणा बदलने पर ध्यान देने की जरूरत है।

नयी दिल्ली, 11 अप्रैल भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने शनिवार को कहा कि रियल एस्टेट कंपनियां तैयार घरों को अधिक मुनाफे की आस में रोके रखने के बजाय उन्हें जल्दी बेचने और अपने कर्ज की किस्तें समय से निपटाते रहने पर ध्यान केंद्रित करें।

उन्होंने रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नारेडको के एक कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंस से संबोधित करते हुए कहा कि यदि रियल एस्टेट कंपनियों को बाजार में बने रहना है और सामान्य कारोबार को यथा संभव शीघ्र पटरी पर लौटना है तो उन्हें कुछ चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्हें तैयार घरों को जल्दी बेचने , बैंक किस्तों के भुगतान में चूक से बचने तथा रियल एस्टेट क्षेत्र के बारे में आम धारणा बदलने पर ध्यान देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘जितनी जल्दी हो सके, तैयार पड़ी आवासीय इकाइयों को बेचिये। हमें यह लग रहा था कि कीमतें चढ़ेंगी लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से ऐसा नहीं हो पा रहा है। एक समय था जब बाजार में ऐसे खरीदार थे, जो पहली बार घर खरीद रहे थे। तब बाजार में निवेशक भी थे और आपके पास पांच साल में निवेश को दो गुना कर लेने की संभावनाएं थीं। अब वह समय गुजर चुका है।’’

एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि अब रियल एस्टेट उद्योग को लागत कम करने तथा निर्माण में लगने वाले समय में कमी लाने पर ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘यह देखिये कि हम निर्माण में लगने वाले समय को कैसे कम कर सकते हैं? हम निर्माण सामग्रियों के मामले में लागत कैसे कम रख सकते हैं? उद्योग जगत को राज्य सरकारों तथा स्थानीय प्रशासन को यह आभास करना होगा कि यह क्षेत्र कोई नकद पैसे देने वाली ऐसी गाय नहीं है जिसे दूहते रहा जा सकता है।’’ इस लिए जरूरत है कि लागत कम की जाए।

उन्होंने बैंकिंग के मामले में आश्वासन दिया कि वृहद आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से ब्याज की दरों को कम-से-कम रखे जाने का प्रयास किया जाएगा।’’

उन्होंने कहा, हर किसी का प्रयास होना चाहिये कि आवास किफायती हो, निर्माण तेजी से हो और कीमत बढ़ने के अनुमान में उन्हें रोके रखे जाने के बजाय जल्दी से बेचा जा रहा हो।

कुमार ने रियल एस्टेट कंपनियों को लेकर कहा कि रियल एस्टेट नियमन एवं विकास अधिनियम (रेरा) ने इस क्षेत्र में कंपनी संचालन को कुछ बेहतर किया है, लेकिन अभी इस दिशा में लंबी दूरी तय की जानी बाकी है। उन्होंने कहा, ‘‘यह मैं नहीं कह रहा हूं लेकिन आम धारणा यही है कि रियल एस्टेट में खूब मुनाफाखोरी की जाती है। इसमें बहुत सारी चीजें टेबल के नीचे से हो जाती हैं। सभी लेन-देन सफेद नहीं होता है। यह सच हो सकता है या सिर्फ धारणा, मैं नहीं जानता। लेकिन उद्योग जगत के स्तर पर इस धारणा में सुधार लाने की जरूरत है।’’

एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि अर्थव्यवस्था में रियल एस्टेट का महत्वपूर्ण योगदान है। निर्माण क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 15 प्रतिशत योगदान देता है। यह बड़े स्तर पर लोगों को रोजगार देता है।

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