कोलंबो, 12 जून श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि इस साल के अंत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव व्यक्तिगत हार-जीत के बजाय द्वीपीय राष्ट्र की सफलता और असफलता का निर्धारण करेंगे। बुधवार को मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
पिछले महीने श्रीलंका के चुनाव आयोग ने कहा था कि राष्ट्रपति चुनाव इसी साल 17 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच आयोजित किए जाएंगे।
बुधवार को नीति सुधार पर एक चर्चा के दौरान 75 वर्षीय विक्रमसिंघे ने कहा, "आगामी चुनाव का परिणाम केवल मेरी व्यक्तिगत जीत या हार के बारे में नहीं है, बल्कि यह चुनाव निर्धारित करेगा कि हमारा देश सफल होगा या विफल।"
जुलाई 2022 के मध्य से अपदस्थ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का शेष कार्यकाल पूरा कर रहे रानिल विक्रमसिंघे ने फिर से चुनाव कराने को लेकर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया।
राष्ट्रपति के मीडिया प्रभाग ने उनके बयान को दिखाया, जिसमें उन्होंने कहा, "यह चुनाव केवल व्यक्तियों के चयन के बारे में नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की प्रगति के लिए सबसे प्रभावी प्रणाली को चुनने का है। अगर आप वर्तमान दृष्टिकोण में विश्वास रखते हैं, तो हमें उसी के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।"
'डेली मिरर' समाचार ने बताया कि विक्रमसिंघे ने नकदी की कमी से जूझ रहे देश में दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मजबूत आर्थिक सुधारों को लागू करने के महत्व पर भी जोर दिया।
विक्रमसिंघे के नेतृत्व में श्रीलंकाई सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के निर्देशों के तहत कठोर आर्थिक सुधार किए हैं। विक्रमसिंघे, जो वित्त मंत्री भी हैं, आर्थिक परिवर्तन विधेयक को प्रस्तुत करके द्वीपीय देश के राजकोषीय कानूनों में सुधार लाने के लिए तत्पर हैं। इस विधेयक को इसकी संवैधानिकता पर उच्चतम न्यायालय की समीक्षा प्रक्रिया के बाद संसद में पेश किया जाना है।
चर्चा के दौरान विक्रमसिंघे ने कहा कि यदि लोग सरकार के आर्थिक कार्यक्रम से संतुष्ट हैं तो वे उसका समर्थन कर सकते हैं। उन्होंने आगाह किया कि अन्यथा उन्हें एक ध्वस्त अर्थव्यवस्था वाले देश में रहने के परिणाम भुगतने होंगे।
श्रीलंका ने 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद अप्रैल 2022 में पहली बार संप्रभुता ऋण चूक की घोषणा की।
इस बीच, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने मंगलवार को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा कि चुनाव स्थगित करने से विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) समाप्त हो जाएगी। चुनाव में देरी की चर्चाओं पर अविश्वास व्यक्त करते हुए राजपक्षे ने इसे "मूर्खतापूर्ण" बताया।
चुनाव आयोग ने भी आगामी राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों में किसी भी प्रकार की देरी के प्रयासों पर निराशा जतायी और कहा कि वे निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं ।
स्वाती
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