पुणे, दो जुलाई महाराष्ट्र में पुणे की एक अदालत ने पोर्श कार दुर्घटना में कथित रूप से शामिल किशोर के पिता और दादा को मंगलवार को जमानत दे दी। यह मामला मई में हुई इस दुर्घटना के बाद परिवार के लिये काम करने वाले चालक के कथित अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने से संबंधित है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) ने 17 वर्षीय लड़के के पिता विशाल अग्रवाल और उसके दादा को जमानत दे दी। इन दोनों को मई के अंत में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस का दावा है कि 19 मई की सुबह कथित तौर पर शराब के नशे में कार चला रहे नाबालिग ने पुणे के कल्याणी नगर इलाके में एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी थी, जिससे दो आईटी पेशेवरों की मौत हो गई थी। यह महंगी कार उसके रियल एस्टेट कारोबारी पिता की थी।
पुलिस के अनुसार लड़के के पिता और दादा ने दुर्घटना के कुछ घंटों बाद 19 मई को रात 11 बजे पुलिस थाने से निकलने के बाद उनके परिवार के लिए काम करने वाले चालक का कथित तौर पर अपहरण कर लिया था, उसे गलत तरीके से अपने बंगले में बंधक बना लिया था और उसे यह स्वीकार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की कि दुर्घटना के समय वह गाड़ी चला रहा था, न कि नाबालिग लड़का।
बचाव पक्ष के वकील प्रशांत पाटिल ने बताया कि उनके मुवक्किलों को कथित अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने के मामले में अदालत ने जमानत दे दी है।
पाटिल ने कहा, ‘‘मेरे मुवक्किल जांच एजेंसी के साथ सहयोग करेंगे और अदालत की कड़ी (जमानत) शर्तों का पालन करेंगे।’’
एक अदालत ने पिछले महीने किशोर न्याय अधिनियम से संबंधित एक मामले में 21 मई को गिरफ्तार किए गए अग्रवाल को जमानत दे दी थी।
बम्बई उच्च न्यायालय ने 25 जून को निर्देश दिया था कि नाबालिग को सुधार गृह से रिहा किया जाए और कहा था कि किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) का उसे हिरासत में रखने का आदेश अवैध है।
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