कोरोना वायरस से संक्रमित आरोपियों और बंदियों के सम्पर्क में आये पुलिस कर्मियों को अलग किया गया
पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) हरिनारायणाचारी मिश्रा ने सोमवार को एक बयान में कहा, "मुझे हाल के दिनों में कुछ आरोपियों और कैदियों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की सूचना मिली है। संक्रमित पाये गये इन लोगों के सम्पर्क में आये सभी पुलिस कर्मियों को 14 दिन के लिये पृथक वास केंद्रों में भेज दिया गया है।"
इंदौर (मध्यप्रदेश), 13 अप्रैल कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ आरोपियों और बंदियों के सम्पर्क में आये पुलिस कर्मियों को 14 दिन के लिये पृथक वास केंद्रों में भेज दिया गया है। इसके साथ ही, सभी पुलिस कर्मियों को निर्देश दिये गये हैं कि वे कानूनी प्रक्रिया के पालन के दौरान किसी भी आरोपी और बंदी के सम्पर्क में आने के वक्त निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) का सही तरीके से उपयोग कर इस संक्रमण के खतरे से अपना बचाव करें।
पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) हरिनारायणाचारी मिश्रा ने सोमवार को एक बयान में कहा, "मुझे हाल के दिनों में कुछ आरोपियों और कैदियों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की सूचना मिली है। संक्रमित पाये गये इन लोगों के सम्पर्क में आये सभी पुलिस कर्मियों को 14 दिन के लिये पृथक वास केंद्रों में भेज दिया गया है।"
हालांकि, मिश्रा ने कोरोना वायरस से संक्रमित आरोपियों तथा बंदियों के संपर्क में आने के बाद पृथक वास केंद्रों में भेजे गये पुलिस कर्मियों की संख्या के बारे में विशिष्ट जानकारी नहीं दी।
डीआईजी ने कहा, "जब तक किसी आरोपी या कैदी की जांच नहीं हो जाती, तब तक पुलिस को जाहिर तौर पर पता नहीं होता कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं। इसलिये खासकर पुलिस आरक्षक कानूनी प्रक्रिया के पालन के दौरान किसी भी आरोपी या बंदी के संपर्क में आते वक्त निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की किट पहनें और इस संक्रमण के खतरे से अपना बचाव करें।"
मिश्रा ने यह भी बताया कि उन्होंने सावधानी के तौर पर शहर के सभी पुलिस थानों को संक्रमणमुक्त कराने के निर्देश दिये हैं।
डीआईजी का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के बंदियों को इंदौर से अन्य जिलों की जेलों में भेजने के प्रशासन के फैसले की आलोचना की जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि जब प्रदेश में लॉकडाउन है, कई जिलों में कर्फ्यू है, कई जिलों की सीमाएं सील हैं, कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए आमजन को भी एक जिले से दूसरे जिले में जाने की इजाजत नहीं है और ऐसे में इंदौर से रासुका के अपराधियों को सतना भेज दिया गया और वे कोरोना वायरस से संक्रमित निकले। इससे तो कोरोना वायरस का संक्रमण अन्य जिलों में भी फैलेगा।"
इंदौर में अलग-अलग घटनाओं में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा पुलिस कर्मियों से दुर्व्यवहार और उन पर पथराव करने वाले मुख्य आरोपियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार किया गया था। इन्हें इंदौर से जबलपुर और सतना की जेलों में भेजा गया था। इनमें से तीन बंदियों में कोरोना वायरस से संक्रमण की पुष्टि होने के बाद जबलपुर और सतना में दहशत का माहौल है।
इंदौर में अभी तक 328 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। इनमें से 33 लोग की मौत हो चुकी है जबकि 35 लोग इलाज के बाद संक्रमण मुक्त होकर अपने घर लौट चुके हैं।
इंदौर, देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में शामिल है। कोरोना वायरस के मरीज मिलने के बाद से प्रशासन ने 25 मार्च से शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है।
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